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इतिहास के पन्नों में 06 अगस्तः जापान के सीने से कभी नहीं मिट सकते हिरोशिमा-नागासाकी के जख्म

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जापान में हिरोशिमा के पीस मेमोरियल पार्क में हर साल 06 अगस्त को शांति की उम्मीद में कबूतरों को छोड़ा जाता है। यह फोटो पिछले साल 06 अगस्त, 2021 का है।  

देश-दुनिया के इतिहास में 06 अगस्त की तारीख तमाम तरह के बदलावों के लिए दर्ज है। मगर इतिहास के पन्नों को सबसे ज्यादा द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए पलटा जाता है। वजह यह है कि दुनिया में पहली और आखिरी बार परमाणु बमों का इस्तेमाल दूसरे विश्वयुद्ध में ही हुआ था। अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी को मकतल में बदल दिया था। अमेरिका ने पहला परमाणु बम 06 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा और दूसरा 09 अगस्त, 1945 को नागासाकी में गिराया था।

अमेरिका ने तीन दिन में दोनों शहरों को लगभग तबाह कर दिया था। इस दौरान दो लाख से अधिक लोगों की जान चली गई और जो बच गए, उनकी जिंदगी नर्क से बदतर हो गई। इस युद्ध में जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और सिर्फ जापान ही था जो मित्र देशों को टक्कर दे रहा था। जुलाई 1945 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टालिन जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिले। यहां तय हुआ कि अगर जापान बिना शर्त समर्पण नहीं करता है तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।

और 06 अगस्त की सुबह करीब आठ बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम का जोरदार हमला किया। यह हमला इतना शक्तिशाली था कि देखते ही देखते 1.40 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। बम धमाकों के बाद तापमान इतना ज्यादा बढ़ गया कि लोग जलकर खाक हो गए। एक मिनट के अंदर ही हिरोशिमा शहर का 80 फीसदी हिस्सा राख हो गया।

तबाही यही नहीं थमी। इसके बाद हजारों लोग परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते मारे गए। एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर क्षेत्र में काली बारिश हुई। जापान इस हमले से संभल पाता कि अमेरिका ने 09 अगस्त को नागासाकी में दूसरा परमाणु बम गिरा दिया। इन दो हमलों से जापान पूरी तरह बर्बाद हो गया। मरने वालों का सटीक आंकड़ा आज तक पता नहीं चला। माना जाता है कि हिरोशिमा में 1.40 लाख और नागासाकी में करीब 70 हजार लोग मारे गए। इसके अलावा हजारों लोग घायल हुए। जापान के लोगों में आज भी इस त्रासदी जख्म मौजूद हैं।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1180ः जापान के सम्राट गो टोबा का जन्म।

1726ः सम्राट कैरेल छठे और टसरीना कैथरीन महान ने सैन्य संधि पर हस्ताक्षर किए।

1806ः पवित्र रोमन साम्राज्य समाप्त।

1819ः संयुक्त राज्य में पहला निजी सैन्य विद्यालय स्थापित।

1821ः ब्रुसेल्स में ‘कोरियर ऑफ पेज बास’ अखबार का प्रकाशन शुरू।

1825: बोलीविया ने पेरू से स्वतंत्रता हासिल की।

1862: मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना।

1890: न्यूयॉर्क में विलियम केमलर को इलेक्ट्रिक चेयर में करंट से मौत की सजा दी गई। ये पहला मामला था जब इलेक्ट्रिक चेयर के जरिए किसी को मौत की सजा दी गई।

1906: प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास और अन्य कांग्रेस नेताओं ने मिलकर ‘वंदेमातरम’ समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया।

1914: ऑस्ट्रिया ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1960: क्यूबा ने देश की तमाम संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया।

1962: जमैका को स्वतंत्रता मिली।

1964: अमेरिका के नेवादा में विश्व के सबसे प्राचीन वृक्ष प्रोमेथस को काट दिया गया।

1986: भारत के प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म।

1996: नासा ने मंगल पर जीवन होने की संभावना जताई।

2007: मध्य त्रिनिदाद में एक पुराने हिन्दू मन्दिर को क्षतिग्रस्त किया गया।

2007: हंगरी के वैज्ञानिकों ने लगभग 80 लाख साल पुराने देवदार के वृक्ष का जीवाश्म प्राप्त करने का दावा किया।

2010: जम्मू और कश्मीर में बाढ़। 255 लोगों की मौत।

2011: थाईलैंड में प्यूइआ थाई दल की यिंगलुक शिनवात्रा शुरुवार देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।

2012: नासा का क्यूरिओसिटी रोवर मंगल ग्रह पर पहुंचा।

जन्म

1915ः पांचवीं लोकसभा के अध्यक्ष गुरदयाल सिंह ढिल्लों।

1921ः स्वतंत्रता सेनानी, गुजरात और मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल केएम चांडी ।

1933ः भारतीय क्रिकेटर एजी कृपाल सिंह।

1944ः भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अविनाश दीक्षित।

1959ः भारत के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह।

1970ः भारतीय और अमेरिकी फिल्म निर्देशक एम. नाइट श्यामलन।

निधन

1925ः कांग्रेस नेता सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जी।

1982ः प्रसिद्ध मलयालम साहित्यकार एस. के. पोट्टेक्काट्ट।

1982ः छठवीं लोकसभा उपाध्यक्ष गोदे मुरहारी।

2003ः प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ, पर्यावरणविद्, फोटोग्राफर और फिल्म निर्माता रॉबिन बनर्जी।

2006ः दलित नेता सूरज भान।

2018ः कांग्रेस नेता आरके धवन।

2019ः भाजपा की शीर्ष नेत्री, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज।

दिवस

हिरोशिमा दिवस

आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल

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