यूपी सरकार का मानना था कि यहां और पंजाब की परिस्थितियों में अंतर है। बावजूद इसके यूपी में गन्ने का दाम 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था। अस्वीकृत प्रजाति के दाम 335, सामान्य के 340 और अगेती प्रजाति के दाम 350 रुपये क्विंटल तक कर दिए गए थे।
केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 15 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि कर दी है। इससे गन्ने का मूल्य 305 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद अब किसान यूपी सरकार से आस लगाए बैठे हैं। प्रदेश में गन्ना किसानों को फिलहाल 350 रुपये प्रति क्विंटल तक का भुगतान किया जा रहा है।
यूपी के किसानों के लिए गन्ना अहम स्थान रखता है। इसके मूल्य भुगतान को लेकर सियासत भी खूब होती है। पिछले साल पंजाब सरकार ने गन्ने का रेट 360 रुपये प्रति क्विंटल घोषित कर यूपी सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश की थी। वहीं यूपी सरकार का मानना था कि यहां और पंजाब की परिस्थितियों में अंतर है। बावजूद इसके यूपी में गन्ने का दाम 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था। अस्वीकृत प्रजाति के दाम 335, सामान्य के 340 और अगेती प्रजाति के दाम 350 रुपये क्विंटल तक कर दिए गए थे।
पांच राज्यों में है एसएपी
देश के पांच राज्यों में एफआरपी नहीं बल्कि राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) लागू किया जाता है। इनमें हरियाणा, यूपी, पंजाब, उत्तराखंड एवं बिहार एसएपी पर ही गन्ना मूल्य घोषित करते हैं।
450 रुपये की मांग
अखिल भारतीय किसान सभा ने गन्ने का रेट 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। कहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में केंद्र ने केवल 2.4 प्रतिशत वृद्घि करना किसानों के साथ मजाक है। जबकि डीजल, कीटनाशक, उर्वरक सभी के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। सभा के राष्ट्रीय महासचिव एवं स्वामीनाथन कमीशन के सदस्य अतुल कुमार अनजान का कहना है कि सीटू प्लस 50 फॉर्मूले के आधार पर गन्ने का दाम 450 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।
आशा खबर / शिखा यादव