बनारस के लाल विजय ने हार के बाद भी रेपचेज राउंड के जरिए कांस्य पदक अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही बनारस में अब तक राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले विजय यादव तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। विजय यादव के बड़े भाई गुड्डू ने कहा कि मुझे विजय की मेहनत और भगवान पर भरोसा था कि मेरा भाई पदक जरूर जीतेगा।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में विजय यादव ने जैसे ही कांस्य पदक अपने नाम किया तो इसकी खबर सात समंदर पार बनारस तक पहुंच गई। रात के 10 बजे मोबाइल की घंटी से उनके पिता दशरथ यादव की नींद टूटी और खबर सुनने के बाद तो उनके पांव जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे। आंखें छलक रही थीं और सीना गर्व से चौड़ा हो गया और बरबस ही उनके मुंह से निकला मेरे लाल का कांस्य देश के माथे पर सोने से भी तेज चमक रहा है।
सुलेमापुर गांव के लिए विजय का कांस्य जीतना किसी त्योहार से कम नहीं था। गांव भर में विजय के जीत की सूचना जैसे ही फैली, गांव वाले भी गौरवान्वित हो उठे। पिता दशरथ यादव और मां चिंता देवी ने कहा कि मेरा बेटा तो लंबे समय से देश के लिए तपस्या कर रहा था। आज बेटे की तपस्या सफल हो गई और उसको फल मिल गया। यह तो अभी शुरुआत है, उसको अभी और आगे जाना है।
देश के लिए और ढेर सारे पदक जीतने हैं। मेरे तीन बेटों में विजय सबसे छोटा है और सबसे शरारती भी। तीनों बच्चों को हमेशा खेलने के लिए मैंने प्रोत्साहित किया। बनारस के सिगरा स्टेडियम से सहारनपुर, लखनऊ, भोपाल के बाद दिल्ली पहुंचा। बेटे के पदक जीतने पर काफी खुशी है।
कभी भूखे पेट तो कभी नमक रोटी खाकर विजय ने किया अभ्यास
शुरूआती दिनों को याद करके रो पड़ी विजय की मां
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का सफर विजय के लिए आसान नहीं था। आर्थिक स्थिति ने हर कदम पर विजय के सामने चुनौतियां पेश कीं। शुरूआती दिनों की हालत यह थी कि कभी भूखे पेट तो कभी नमक रोटी खाकर विजय ने जूडो का अभ्यास किया। विजय की मां चिंता देवी अपने बेटे के शुरूआती दिनों को याद करते हुए रो पड़ती हैं। वह कहती हैं कि एक मां का दिल ही जानता है कि मेरे लाल ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए कितनी मेहनत की है।
मां ने बताया कि विजय के पिता की आमदनी उतनी नहीं थी कि वह बेटे को अच्छी खुराक दे सकें। बावजूद इसके विजय ने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य पर अपनी निगाहें टिकाए रखी। उसी का परिणाम है कि आज देश के लिए कांस्य पदक जीत लिया। अपनी खुराक पूरी करने के लिए विजय भारतीय खेल प्राधिकरण सेंटर लखनऊ चले गए। दशरथ यादव के लिए अपने तीन बेटों और दो बेटियों के सपनों को पूरा करना आसान नहीं था। वह कभी वेल्डिंग तो कभी खराद का तो कभी मजदूरी भी करते थे।
विजय वर्ष 2008 में गांव में ही कुश्ती खेलता था। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उसने जूडो खिलाड़ियों को देखा तो उसका भी मन जूडो की तरफ लग गया। घर की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत नहीं थी। उसे जानकारी मिली स्पोर्ट्स हास्टल में बेहतर खेल प्रशिक्षण और भरपूर भोजन मिलेगा तो उसने हास्टल के लिए प्रयास किया और उसको गोरखपुर हास्टल में जगह मिल गई। हास्टल में उसका खेल भी बेहतर हुआ।
खराद का काम करते हैं पिता
विजय यादव के पिता खराद का काम करते हैं। विजय के पिता दशरथ यादव की इतनी आमदनी नहीं थी कि वह बेटे को अच्छी खुराक दे सके। यही कारण था कि विजय भारतीय खेल प्राधिकरण सेंटर लखनऊ चले गए और लंबे समय से उनकी परिवार से मुलाकात भी नहीं हुई है।
आज विजय ने मुझे गुरु दक्षिणा दे दी : सुषमा
वर्तमान में भोपाल साई सेंटर में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओई) स्कीम से जुड़ी कोच ने बताया लखनऊ साई सेंटर में ट्रेनिंग के दौरान विजय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदकों की झड़ी लगा दी, लेकिन बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में उसके हाथ से पदक हमेशा छिटक जाता था। इस बारे में मेरी अक्सर उससे बात होती थी। उस समय मैं उससे निराश न होने के कहकर ट्रेनिंग को और कड़ी करने की बात कहती।
सुषमा बताती हैं, आज जब विजय दूसरी बाउट हार गया तो मन उदास हो गया, लेकिन रेपचेज में उसने कमाल का प्रदर्शन किया और लगातार दो मुकाबले जीतकर अप्रत्याशित रूप से कांस्य अपने नाम कर लिया। यह पदक उसे भविष्य में बेहतर के लिए प्रेरित करेगा।
यूपी जूडो संघ के सचिव मुनव्वर अंजार ने बताया कि जूडो में पदक जीतने वाले विजय यूपी में दूसरे खिलाड़ी हैं। एक समय था जब विजय को खराब प्रदर्शन के कारण सहारनपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम से निकाल दिया गया था। जिसे लखनऊ बुला लिया जहां इसे प्रशिक्षण देकर ढाई साल में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया।
बीस साल के सूखे को किया खत्म
ये हैं उपलब्धियां
- कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में स्वर्ण
- दक्षिण एशियाई जूडो चैंपियनशिप में स्वर्ण
- 18वें एशियाई खेल में टीम स्पर्धा में पांचवां स्थान
- तीन बार सीनियर राष्ट्रीय जूडो स्वर्ण पदक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी शुभकामनाएं
गृहमंत्री अमित शाह ने विजय को दी बधाई
योगी आदित्यनाथ ने की सराहना, दी बधाई
आज कॉमनवेल्थ गेम्स -2022 की जूडो प्रतिस्पर्धा में विजय कुमार यादव जी ने कांस्य पदक जीतकर भारत का परचम लहराया है। आपको हृदयतल से बधाई। आप लोग नित नवीन सफलताओं को अर्जित करें। ऐसी मंगलकामना है। आप का भविष्य उज्ज्वल हो। – योगी आदित्यनाथ, सीएम
आशा खबर / शिखा यादव