प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में हो रही भारी बारिश के कारण गंगा नदी उफान पर है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। रविवार को गंगा का जलस्तर चेतावनी के निशान (293 मीटर) के करीब पहुंच गया था। पानी बढ़ने से गंगा के आसपास के खेतों में फसल जलमग्न हो गई हैं। कई गांवों के संपर्क मार्गों पर भी पानी भर गया है। पानी बढ़ने से प्रशासन भी अलर्ट हो गया है।
गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से खेतों के जलमग्न होने से पशुओं के चारे की परेशानी बढ़ गई हैं। कई गांव के संपर्क मार्ग बाधित हो गए हैं। पानी से गंगा के किनारे के आसपास के खेतों में खड़ी धान, गन्ना और चारा की करीब डेढ़ हजार बीघा फसल जलमग्न हो गई हैं। किसानों के मुताबिक अगर एक सप्ताह के भीतर पानी न उतरा तो फसल खराब होने का खतरा है। उधर, कलसिया, बालावाली, डुमनपुरी, पंडितपुरी सहित कई गांवों के संपर्क मार्गों पर भी एक से डेढ़ फीट पानी भर गया है। हालांकि पानी कम होने के कारण गांवों में ग्रामीणों की आवाजाही पर असर नहीं पड़ा है। प्रशासन ने गंगा और सोलानी के आसपास के तीस गांवों को अलर्ट कर दिया है।
भारी बारिश और गंगा का जल स्तर बढ़ने के बाद ढाढेकी, मोहम्मदपुर, मथाना, सहीपुर, याहियापुर, हस्तमौली, बहादराबाद, सोंपरी, गंगदासपुर, बालावाली, गिद्धावाली, डुमनपुरी, पंडितपुरी, ढाढेकी, मथाना, कुंआखेड़ा, मोहम्मदपुर, याहियापुर, आलमपुरा, माड़ाबेला, शेरपुर बेला, दल्लावाला, दाबकी खेड़ा, जोगावाला, चंद्रपुरी व नाईवाला गांवों को अलर्ट पर रखा गया है।
खेतों में पानी भरने से पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या हो रही है। उपजिलाधिकारी गोपालराम बिनवाल ने बताया कि गंगा के जलस्तर पर निगाह रखी जा रही है। अभी कहीं भी खतरे की संभावना नहीं है, फिर भी आपदा से निपटने के लिए तहसील प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।
आशा खबर / शिखा यादव