किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने को लेकर केन्द्र और राज्य की सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें से एक महत्वकांक्षी योजना कृषि फीडर का निर्माण करना रहा है। लेकिन, यह योजना सीवान जिले में किसानों के लिए सार्थक सिद्ध ही नहीं हो पा रही है।
इस योजना के जरिये किसानों को बिजली का कनेक्शन देकर सिंचाई पर लागत खर्च कम करने का फैसला लिया गया था। लेकिन, कृषि फीडर तो किसानों के लिए सफेद हाथी दांत साबित हो रहा है। कहने को तो बिजली कंपनी ने विभिन्न पावर सबस्टेशनों के अंतर्गत कुल 42 कृषि फीडरों का निर्माण कराया है। लेकिन, इनमें से कई चालू हालत में भी नहीं है।
बिजली विभाग के आंकड़े को माने तो अभी तक सीवान जिले में तीन हजार से अधिक किसानों को बिजली का कनेक्शन भी दिया गया है। लेकिन, कनेक्शन लेने वाले सभी किसानों को कृषि फीडर से फायदा नहीं मिल रहा है। इससे किसानों के समक्ष सूखे से निपटने के लिए एक बड़ी चुनौती सामने आकर खड़ी हो गई है। इसे लेकर किसान काफी परेशान दिख रहे हैं।
जिले में बारिश की स्थिति इतनी खराब है कि अभी भी औसत से 55.60 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जुलाई के अंत तक तक जिले में कम से कम 290.74 एमएम बारिश होनी चाहिए थी। लेकिन, अभी तक 129.07 एमएम ही बारिश हो सकी है। इस वजह से जिले में धान की रोपनी पिछड़ते जा रही है। अब तक मात्र 41 प्रतिशत ही धान की रोपनी शुरू हो सकी है।
सीवान जिले में भले ही तीन हजार के करीब किसानों को कनेक्शन दिया गया है। लेकिन, यह कनेक्शन धरातल पर कम दिखावे में अधिक है। चुकी इससे करीब एक से डेढ़ हजार किसानों को ही फायदा है। हालांकि, बिजली की अनियमित आपूर्ति सिंचाई में बाधक बन रही है।
जिले के करीब 40 फीसदी हिस्से में तार-पोल तक नहीं लग पाया है। जिधर, तार-पोल लगे हैं, उधर भी 30 फीसदी तक डैमेज की स्थिति में है। अनेक जगहों पर तो चोरों द्वारा एलटी के तार काट लिए गए हैं। सिसवन प्रखंड के सरहरा के पास ट्रांसफार्मर के क्वायल ही खोलकर निकाल लिया गया है। बंगरा गांव के पास ट्रांसफार्मर का पैनल की क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।
रघुनाथपुर के फुलवरिया, निखती, पशुरामपुर, निखती खुर्द, अमहरा, पंजवार आदि गांवों में किसानों को न तो कृषि फीडर से लाभ है न जरूरी हिस्से में कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए तार पोल ही लग पाए हैं। इस तरह की स्थिति जिले के हर ब्लॉक में है। किसानों का कहना है कि कृषि फीडर से 01 फीसदी किसानों को भी फायदा नहीं है। जिले में करीब 7 लाख 77 हजार रजिस्टर्ड किसान हैं।
उल्लेखनीय हो कि सीवान जिले में कृषि योग्य करीब 1 लाख 72 हजार 389 हेक्टयेर भूमि है। इसमें 1 लाख 22 हजार 731 हेक्टयर की भूमि सिंचित क्षेत्र के तहत आती है।44 हजार 817 हेक्टेयर कृषि योग्य बेकार भूमि है। वन क्षेत्र की स्थिति बिल्कुल शून्य है। 9827.40 हेक्टेयर भूमि परती है। जिले में कुल कृषि योग्य भूमि के 74.25 प्रतिशत में ही खेती की जाती है।
बताते चलें कि जिले में कहने को तो बिजली से चलने वाले 247 सरकारी नलकूप लगे हैं। लेकिन, इससे भी किसानों को फायदा नहीं है। चुकी अधिकतर नलकूप कई कारणों से चालू नहीं है तो कुछ बिजली कनेक्शन के कारण चालू हालत में नहीं है। हालांकि, लघु सिंचाई विभाग का दावा है कि 247 नलकूपों में 175 ही बंद पड़े हैं। जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल हटकर है। रघुनाथपुर और जिरादेई जैसे प्रखंडों में एक भी नलकूप चालू हालत में नहीं है। जबकि वहां तक तार, पोल और ट्रांसफार्मर लगा दिए गए हैं। किसानों को खेती में सबसे अधिक खर्च सिंचाई पर ही पड़ती है। लेकिन, इस पर भी अधिकारियों और यहां के जनप्रतिनिधियों को ध्यान नहीं है। ऐसे में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं। वास्तविकता के लिए कुछ करना होगा।
वहीं इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने कहा जिले में धान की रोपनी कुल लक्ष्य के 41 फीसदी तक हो गई है। किसान धान की रोपनी में लगे हुए हैं। किसानों को कृषि फीडर से निश्चित रूप से लाभ हो रहा है। बिजली कंपनी के कार्यपालक अभियंता चंदन कुमार सिंहा ने कहा कि जिले में फसल की सिंचाई के लिए 42 फीडर बनाये गए हैं। 3 हजार से अधिक किसानों को बिजली कनेक्शन दिए गए है।
आशा खबर / शिखा यादव