राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू होने के दो साल पूरे होने के मौके पर शुक्रवार 29 जुलाई को इस ई-कटेंट पोर्टल लांच होगा। इसमें स्नातकोत्तर के 23 हजार कोर्स, 137 स्वयं मूक कोर्स शामिल हैं।
देशभर की पंचायतों में बने कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Center) में अब छात्र उच्च शिक्षा का डिजिटल कोर्स (Digital courses) भी कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ग्रामीण और दूरदराज के विद्यार्थियों को घर बैठे डिजिटल माध्यम से उच्च शिक्षा (Higher education) से जोड़ने की योजना तैयार कर ली है। इसको अमलीजामा पहनाने के लिए यूजीसी ने इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सहयोग लिया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के दो साल पूरे होने के मौके पर शुक्रवार 29 जुलाई को इस ई-कटेंट पोर्टल लांच होगा। इसमें स्नातकोत्तर के 23 हजार कोर्स, 137 स्वयं मूक कोर्स शामिल हैं। वहीं, पहली बार 25 नॉन इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई छात्रों को अब आठ भारतीय भाषाओं मे करने का मौका मिलेगा। दरअसल, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 में डिजिटल शिक्षा की घोषणा की थी। इसी के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने योजना तैयार की है। इसमें पंचायतों के कॉमन सर्विस सेंटर और स्पेशल परपज व्हीकल सेंटर से यूजीसी अपना पूरा डिजिटल कंटेंट जोड़ देगी। इसमें छात्र प्रतिदिन 20 रुपये या फिर महीने की पांच सौ रुपये फीस देकर अपना कोर्स और पढ़ाई कर सकता है।
ये 25 कोर्स आठ भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेट
अकादमिक राइटिंग (Academic Writing), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( Artificial Intelligence), कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी इन एजुकेशन, कॉरपोरेट लॉ, कॉरपोरेट टैक्स प्लानिंग, सिटी एंड मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग, साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल लाइब्रेरी, डायरेक्ट टैक्स-लॉ एंड प्रैक्टिस, अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन, आर्गेनिक केमिस्ट्री , रिसर्च मैथोलॉजी, एनिमेशन समेत 25 कोर्स को हिंदी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलगू, मलयालम, तमिल और कन्नड़ भाषा में ट्रांसलेट किया गया है।
घर बैठे मिलेगी गुणवत्ता युक्त शिक्षा
यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दो साल पूरे होने के मौके यूजीसी ई-रिसोर्स पोर्टल लांच किया जाएगा। दूरदराज व ग्रामीण इलाकों के लाखों छात्र अब छात्र घर बैठे स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई के साथ इन कोर्स की पढ़ाई कर सकेंगे। अभी तक सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही इन कोर्स की पढ़ाई की जा सकती थी, लेकिन इनमें से 25 कोर्स को आठ भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया है। कॉमन सर्विस सेंटर अब सिर्फ सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि यहां पर छात्र अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई भी कर सकेंगे।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा