सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज (बुधवार) को अहम फैसले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। हालांकि बेंच ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपित याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर चार हफ्ते की रोक लगाई है ताकि वे सक्षम कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर सकें।
बेंच ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में किए गए संशोधन को वित्त विधेयक की तरह पारित करने के खिलाफ मामले पर बड़ी बेंच फैसला करेगी। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 का दायरा विस्तृत है। धारा 5 संवैधानिक रूप से वैध है। धारा 19 और 44 को चुनौती देने की दलीलें दमदार नहीं हैं। ईसीआईआर एफआईआर की तरह नहीं है। यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है। एफआईआर दर्ज नहीं होने पर भी संपत्ति को जब्त करने से रोका नहीं जा सकता। एफआईआर की तरह ईसीआईआर आरोपित को उपलब्ध कराना बाध्यकारी नहीं है। आरोपित स्पेशल कोर्ट के समक्ष हो तो दस्तावेज की मांग कर सकता है।
याचिकाओं में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि इसके क्रिमिनल प्रोसीजर कोड में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल