कांगो में उग्र प्रदर्शन के दौरान दो भारतीय शांति सैनिक समेत 10 लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार पूर्वी कांगो के बुटेम्बो शहर में मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना के खिलाफ स्थानीय विरोध प्रदर्शन में तीन शांति दूतों की मौत हो गई जिसमें दो भारतीय सैनिक भी है।
बुटेम्बो के पुलिस प्रमुख पॉल नगोमा ने कहा कि हिंसा में सात प्रदर्शनकारी भी मारे गए। बुटेम्बो में सोमवार से प्रदर्शन शुरू करने वाले प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि मोनुस्को (संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना) सशस्त्र चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है।
भारतीय शांति सैनिकों की मौत पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दुख जताते हुए कहा कि वह कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में बीएसएफ के दो बहादुर भारतीय शांति सैनिकों की जान गंवाने से दुखी हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि देश में संयुक्त राष्ट्र मिशन के खिलाफ कांगो के पूर्वी शहर गोमा में प्रदर्शनों का यह दूसरा दिन है। प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को गोमा में संयुक्त राष्ट्र मिशन कार्यालयों में आग लगा दी थी और जबरन घुसने की कोशिश की थी। उन्होंने शांति सेना पर कांगो के पूर्वी क्षेत्र में बढ़ती हिंसा के बीच नागरिकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। वे वर्षों से कांगो में मौजूद संयुक्त राष्ट्र की सेना से देश छोड़ने के लिए कह रहे हैं।
सरकार के प्रवक्ता पैट्रिक मुयया ने एक ट्वीट में संयुक्त राष्ट्र कर्मियों और इमारतों पर हमलों की निंदा करते हुए कहा, कम से कम 5 लोग मारे गए, लगभग 50 घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने शांति दूतों की मौतों के लिए उन्हें दी दोषी ठहराया है। उन्होंने इन मौतों के लिए शांति सैनिकों द्वारा चलाई गई गोलियों को जिम्मेदार ठहराया।
सरकार के प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि मौतों का कारण क्या है। उन्होंने सुरक्षा बलों और शांति सैनिकों द्वारा चलाई गईं गोलियों को चेतावनी फायरिंग बताया। उन्होंने कहा कि शांति सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने और मोनुस्को बेस और प्रतिष्ठानों पर किसी भी हमले को रोकने के लिए चेतावनी के लिए फायरिंग की थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुरक्षा बलों को गोमा में शांति बहाल करने और गतिविधियों को सामान्य रूप से बहाल करने के लिए सभी उपाय अपनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह भी दोहराया कि शांति सेना को वापस लेने के लिए पहले से ही कदम उठाए जा रहे हैं।
जून 2021 और जून 2022 में, मोनुस्को के शांति मिशन ने कांगो के कसाई सेंट्रल और तांगानिका क्षेत्रों में अपना कार्यालय बंद कर दिया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मिशन के तहत कांगो में 16,000 से अधिक वर्दीधारी कर्मी शामिल हैं। इस मध्य अफ्रीकी देश में विरोध प्रदर्शन इसलिए हो रहे हैं क्योंकि कांगो के सैनिकों और एम-23 विद्रोहियों के बीच लड़ाई बढ़ गई है। इससे लगभग 200,000 लोग अपने घरों से भागने के लिए मजबूर हो गए हैं।
आशा खबर / शिखा यादव