कारगिल की चोटियों पर तेइस साल पहले विपरीत हालात में लड़े गए कारगिल युद्ध के शहीदों को द्रास स्थित कारगिल वार मेमोरियल में मंगलवार सुबह श्रद्धासुमन अर्पित किये गए। भारतीय सेना के चीता हेलीकॉप्टरों ने फूल बरसाकर कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
जम्मू कश्मीर व लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को सलामी दी। इस मौके पर उन्होंने सैनिकों को शहीदों से प्रेरणा लेते हुए देश सेवा जारी रखने का आह्वान किया। आर्मी कमांडर के साथ भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों व सेना की माउंटेन डिवीजन के जीओसी ने शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित किए। इस मौके पर कारगिल हिल काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिल फिराज खान व लद्दाख प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 वीर शहीद हुए थे। भारतीय सेना व वायुसेना ने मिलकर कड़े प्रहार करते हुए पाकिस्तान सेना को खदेड़ दिया था। मंगलवार को कारगिल विजय दिवस के मुख्य कार्यक्रम में 14 वीर नारियों, 2 वीर माताओं व कारगिल युद्ध के दस नायकों के साथ कई पूर्व सैनिकों ने हिस्सा लिया। कारगिल विजय मशाल भी शहीदों का सम्मान करने के लिए वार मेमोरियल पहुंची। इसी बीच दिल्ली से निकले सेना के मोटरसाइकिल सवारों, लेह से निकले सेना के साइकिल सवारों ने द्रास पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
फूलों से सजाए गए द्रास वार मेमोरियल में हेलीकॉप्टरों से फूल बरसाने के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद लाइट एंड साउंड कार्यक्रम ने कारगिल युद्ध की यादों को ताजा कर दिया। वर्ष 1999 के उस मंजर को ताजा किया गया जब भारतीय सैनिकों ने बुलंद हौंसले के साथ कारगिल की चोटियों पर बैठे दुश्मन पर करार आघात कर उसे मार भगाया था। कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल, तोलोलिंग, मुश्कोह वैली व लोमोचन टॉप जैसी चोटियों को जीतने के लिए लड़ी गई थी।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल