दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट की सिविल जज स्वाति गुप्ता आज (मंगलवार) कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई करेंगी। इससे पहले 17 नवंबर, 2021 को कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अब कोर्ट याचिका के सुनवाई योग्य होने पर विचार कर रही है।
याचिकाकर्ता के वकील अक्षय अग्रवाल ने अदालत में कहा था कि सलमान खुर्शीद प्रभावशाली नेता हैं। उनकी इस किताब के पेज नंबर 113 के एक पैराग्राफ में लिखी गई बातें हिन्दू धर्मावलंबियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। याचिका के अंतिम निपटारे तक किताब की बिक्री और प्रसार पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के तहत न तो प्रथम पक्षकार दिल्ली के उपराज्यपाल को अनिवार्य नोटिस भेजा है और न ही नोटिस नहीं भेजने से छूट की मांग के लिए याचिका दायर की है। ऐसे में किताब पर तत्काल रोक नहीं लगाई जा सकती।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में नाकाम रहा कि उसे पुस्तक से कोई नुकसान हो रहा है। अगर किताब पर रोक लगाई जाती है तो ये लेखक और प्रकाशक दोनों के अधिकारों का उल्लंघन होगा। ऐसा करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होगा। अगर याचिकाकर्ता चाहें तो किताब की लिखी बातों का खंडन छाप सकते हैं। याचिकाकर्ता ने केवल एक पैराग्राफ उद्धृत किया है। केवल एक पैराग्राफ पढ़कर पूरा संदर्भ समझना मुश्किल होगा। यह याचिका हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि किताब के पेज नंबर 113 में सैफरन स्काई नामक अध्याय 6 में सनातन हिंदूत्व की तुलना जिहादी इस्लामी संगठनों जैसे आईएस और बोको हराम से की गई है। ऐसा कर सलमान खुर्शीद ने हिन्दू धर्म की छवि को खराब करने की कोशिश की है। ऐसी करने से भारत समेत दुनिया भर में रह रहे लाखों करोड़ों हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुई हैं। संविधान की धारा 19(ए) हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन इसकी कुछ शर्तें हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देश और समाज के सौहार्द्र की कीमत पर नहीं दिया जा सकता है।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा