यूक्रेन पर रूसी हमले के पांच माह पूरे हो गए हैं। इस दौरान दोनों देशों को भारी जनशक्ति का नुकसान होने के साथ ही अब खाद्यान्न संकट भी मुसीबत बन गया है। रूसी हमलों के बीच ही यूक्रेन ने अनाज का निर्यात करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही यूक्रेन का उगाया गेहूं अब रूस काट रहा है।
यूक्रन पर रूसी हमले के पांच माह बीतते-बीतते दोनों देशों के बीच वैश्विक खाद्यान्न संकट के मद्देनजर काला सागर के जरिए अनाज निर्यात पर समझौता हुआ है। तुर्की और संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर हुए समझौते के बावजूद रूसी सेनाओं ने यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह पर हमला किया, जहां से निर्यात किया जाना था। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ओडेसा बंदरगाह पर हुए हमले को बर्बरता करार दिया और कहा कि रूस पर समझौते के क्रियान्वयन का भरोसा नहीं किया जा सकता।
इस बीच यूक्रेनी सेना ने कहा कि रूसी हमले में अनाज भंडार को नुकसान नहीं पहुंचा है। हमलों के बावजूद अनाज निर्यात शुरू कर दिया गया है। यूक्रेन के बुनियादी ढांचा मंत्री अलेक्जेंडर कुब्राकोव ने कहा कि यूक्रेन अगले नौ महीनों में छह करोड़ टन अनाज का निर्यात कर सकता है लेकिन अगर बंदरगाह ठीक से काम नहीं कर पाए तो इसमें दो साल लग सकते हैं।
इस बीच रूस ने ओडेसा बंदरगाह पर हमले की बात से इनकार किया और कहा कि उसने गत दिवस सैन्य ढांचे और युद्धपोत पर मिसाइलें दागी थीं। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोव ने एक संदेश में कहा कि कैलिबर मिसाइलों ने यूक्रेन के सैन्य ढांचे को नष्ट किया है। तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश कूटनीतिक माध्यम से रूस व यूक्रेन के मसलों को दूर करते हुए अनाज निर्यात की बहाली का हरसंभव प्रयास करेगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार कार्यालय ने कहा कि वह यूरोपीय संघ, अमेरिका व रूस के साथ अनाज निर्यात की बाधाओं को दूर करने पर चर्चा करता रहेगा। यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस उसके संसाधनों को लूट रहा है। कहा गया है कि यूक्रेन के उगाया गेहूं अब रूस काट रहा है। दरअसल रूस ने फरवरी में हमला कर यूक्रेन के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। अब इन इलाकों के संसाधनों पर वह खुला डाका डाल रहा है। झेपोरिजिया इलाके में गेहूं की फसल तो यूक्रेन के मेहनतकश किसानों ने उगाई है, लेकिन अपनी सेना के दम पर इन दिनों इसे काट रूस रहा है।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल