भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने गहलोत सरकार की कथनी और करनी में अंतर होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जनता इस सरकार से परेशान है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में गहलोत सरकार की विदाई तय है।
डॉ.त्रिवेदी रविवार को जयपुर में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। वे यहां भारत विकास परिषद की ओर से स्वाधीनता के 75वें वर्ष पर आयोजित प्रबुद्धजन सम्मेलन में मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल होने आए थे। उन्होंने कहा कि आज राजस्थान में किसान परेशान है, नौजवान हैरान है और जनता हलकान है। प्रदेश की जनता ने कांग्रेस सरकार को बदलने का मन बना लिया है। इसका बदलना निश्चित है।
मुख्यमंत्री गहलोत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप के सवाल पर डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि वर्ष 2019 के चुनाव घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा था कि राजद्रोह कानून खत्म कर देंगे, यह गलत कानून है। यह बात दूसरी है कि सबसे पहले इस कानून का उपयोग गहलोत सरकार ने विधायकों के विरुद्ध किया। इससे साफ है कि उनकी कथनी और करनी में क्या अंतर है। आटा-दाल पर जीएसटी के सवाल पर डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि यही तो समस्या हो रही है कि किसी भी चीज को पहली बार बताकर प्रचारित किया जा रहा है। टैक्स तो पहले भी वैट के रूप में थे, राज्य सरकारों ने यथावत लगाए थे। जीएसटी कौंसिल की बैठक में राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल के वित्त मंत्री थे, किसी ने विरोध किया तो, पत्र दिखा दें।
पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर त्रिवेदी ने कहा कि कोटा में पीएफआई को रैली निकालने की अनुमति दी जाती है तो प्रश्न खड़ा होता है कि कांग्रेस का अंदरूनी चेहरा क्या है? गहलोत के हिंसा पर प्रधानमंत्री के बयान के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता त्रिवेदी ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। मुख्यमंत्री कह दें कि कानून व्यवस्था मेरे बस की नहीं है, तो केंद्र को सुपुर्द कर रहा हूं तो संभालेंगे। त्रिवेदी ने कहा कि राजनीतिक पक्ष यह है कि छह महीने पहले जयपुर में महंगाई पर रैली हुई थी, लेकिन भाषण उत्तर प्रदेश पर हुआ था। पूरे दस मिनट तक हिंदू बनाम हिंदुत्व पर भाषण हुआ था। विषयांतर किया जाता है, यह कौन करता है। विषयांतर करते-करते इतना विष वमन कर देते हैं कि समाज में सर काटने जैसी घटनाएं हो जाती है।
इससे पहले प्रबुद्धजन सम्मेलन में भारत के विकास में हमारी भूमिका विषय पर बोलेते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार देश के प्रत्येक क्षेत्र के विकास में लगी हुई है। विकास में सरकार के साथ-साथ आमजन की भागीदारी भी जरूरी है। आज ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि हमारे बच्चे पढ़-लिखकर अच्छी कमाई करने लगें, लेकिन पढ़ाई लिखाई और कमाई हमारे लिए विकास की गारंटी नहीं है। केवल विकास की तरफ ध्यान दिया तो विनाश की ओर ले जा सकता है, इसलिए विवेक का प्रयोग करें।
मार्क्सवादी इतिहासकारों पर निशाना साधते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि इनमें से किसी ने भी वैदिक संस्थान में जाकर अध्ययन नहीं किया और वैदिक संस्कृति पर टिप्पणी कर डाली। इस मानसिकता से बाहर निकालने की जरूरत है। भारत में भाषा और शब्दों के माध्यम से लोगों में कुत्सित मानसिकता भरी जा रही है, नई पीढ़ी को इससे बचाना होगा। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया के बाद हर चीज भारत में बनने लगी है। एक जमाना था जब यूपी में कट्टे बना करते थे और आज ब्रह्मोस मिसाइल बन रही है। उसके बाद भी कोई कहता है कि विकास का सरूर नहीं दिख रहा है तो उन्हें नजारे देखने के लिए नजर बदलने की जरूरत है।