‘परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं । कैंसर के इलाज, खेती -किसानी, फूड प्रोसेसिंग या फिर बिजली उत्पादन का क्षेत्र हो, देश को आत्मनिर्भर बनाने में परमाणु ऊर्जा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके साथ देश के हर घर को रौशन करने में भी ग्रीन एनर्जी की शुरुआत हो चुकी है। साल 2070 तक दुनिया को कार्बन मुक्त बनाने के साथ बिजली उत्पादन में भी परमाणु उर्जा अहम भूमिका निभा सकती है।’ यह कहना है परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. डीके सिन्हा का।
हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि बिजली उत्पाद के क्षेत्र में यूरेनियम की उपयोगिता आने वाले समय में और बढ़ेगी और एक दिन यही ग्रीन एनर्जी के रूप में लोगों की जीवन को आसान बनाएगा।
लोगों में परमाणु ऊर्जा को लेकर भ्रम को करना है दूर
परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के बीच की स्थिति पर उन्होंने कहा कि आज परमाणु खनिज के अन्वेषण एवं अनुसंधान को लेकर लोगों में संकोच है। कई स्थानों पर लोगों के विरोध के कारण अन्वेषण को रोकना या बंद करना पड़ता है लेकिन जब तक देश में परमाणु खनिज की खोज नहीं होगी तब तक इस पर शोध का काम कैसे पूरा हो सकेगा। 100 स्थानों पर खोज के बाद एक स्थान पर यूरेनियम का भंडार मिलता है। उसमें भी स्थानीय नागरिक अगर सहयोग न करें तो काम में बाधा आती है।
इन क्षेत्रों में अहम भूमिका
डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि परमाणु उर्जा का उपयोग आज चिकित्सा के क्षेत्र में काफी किया जा रहा है। परमाणु ऊर्जा विभाग गले का कैंसर, आंखों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में रेडिएशन थैरेपी का इस्तेमाल कर रहा है। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले चिकित्सीय उपकरणों को पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांगलादेश में भी भेजा गया है। इसके साथ कैंसर के इलाज के क्षेत्र में रेडिएशन थैरेपी की संभावनाओं को और विस्तार देने की दिशा में काम हो रहा है। कृषि के क्षेत्र में काफी अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ है। अच्छी किस्मों के बीज उत्पादन से लेकर फूड प्रोसेसिंग में भी काफी काम किया गया है। विशेषकर विदेशों में किए जाने वाले फलों के एक्सपोर्ट को काफी प्रोत्साहन मिला है। रेडिएशन थैरेपी से सब्जी, अनाज, फलों को काफी दिनों तक सामान्य तापमान में रखा जा सकता है।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल