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संगम में डूबा नमामि गंगे का संकल्प, आठ साल बाद भी गंगा में बह रहे 34 नाले

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Prayagraj News : गंगा में गिर रहा नाले का गंदा पानी।

बृहस्पतिवार दोपहर में सलोरी एसटीपी के एक पाइप से पानी निकल रहा था। अफसरों का दावा है कि शोधन के बाद यह पानी छोड़ा जा रहा था। इसके विपरीत सच्चाई यह है कि उससे निकलने वाली बदबू दूर तक की हवा को प्रदूषित कर रही थी।

सदियों से जगत को तारने और पाप धोने वाली गंगा में गिरते नाले निर्मलीकरण के दावों की धज्जी उड़ा रहे हैं। संगम में नमामि गंगे परियोजना के तहत निर्मलता का लिया गया संकल्प तब डूबा है, जब इस मुहिम के सात साल बीच चुके हैं। एक बूंद भी गंगा पानी पावन धारा में न जाने देने के दावे के सरकार के संकल्प के बीच अरैल से फाफामऊ के बीच गंगा में 34 नालों का बहना किसी अफसोस से कम नहीं लगता। ऐसे में आहत होकर हाल में ही इस्तीफा देने वाले जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक की ओर से इस परियोजना पर उठाए गए सवाल हर किसी को सोचने के लिए मजबूर करने लगे हैं।  चौंकाने वाली बात यह है कि एसटीपी से निकलने वाले पानी में भी बदबू है तथा झाग निकल रहे हैं।

बृहस्पतिवार दोपहर में सलोरी एसटीपी के एक पाइप से पानी निकल रहा था। अफसरों का दावा है कि शोधन के बाद यह पानी छोड़ा जा रहा था। इसके विपरीत सच्चाई यह है कि उससे निकलने वाली बदबू दूर तक की हवा को प्रदूषित कर रही थी। इसके अलावा उसमें झाग भी निकल रहे थे। अफसरों के दावों के अनुसार शोधित पानी में ऑक्सीजन की मात्रा होती है। इसलिए इनसे झाग निकलते हैं। इसी तरह से रसूलाबाद घाट पर दो नाले हैं। इनमें से एक को तो टैप किया गया था लेकिन दूसरे नाले से गंदा पानी गंगा में गिर रहा था। दारागंज घाट के पास भी नाले का गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा था। इसी तरह से द्रौपदी घाट, नेवादा, बेली गांव, फाफामऊ, ककहराघाट, बलुआघाट, दरियाबाद समेत कई अन्य नालों का भी पानी सीधे नदियों में जा रहा है।

Prayagraj News : गंगा में गिर रहा नाले का गंदा पानी।
बारिश के दिनों में घाट के किनारे बने सीवेज करने लगते हैं फ्लो
सीवेज की गंदगी एसटीपी तक पहुंचाने के लिए घाटों के किनारे पाइप लाइन बिछाई गई है लेकिन वह अक्सर ओवर फ्लो कर जाती है। गंगा के जलस्तर में थोड़ी बढ़ोतरी पर तो पाइप लाइन पूरी तरह से डूब जाती है और सीवेज का पानी घरों में जाने लगता है। रसूलाबाद घाट पर बिछी पाइप लाइन तो अभी से डूब गई है। इन नालों को ऊंचा करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है लेकिन यह काम कब तक पूरा हो सकेगा यह सवाल बना हुआ है।
Prayagraj News : गंगा में गिर रहा नाले का गंदा पानी।
सरकारी आंकड़ों में ही नदियों में सीधे गिर रहे 34 नाले
जिले में करीब 300 छोटे-बड़े नाले हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र के 76 में 34 नालों का गंदा पानी सीधे नदियों में गिर रहा है। इनमें से दो तो बडे़े नाले हैं। नमामि गंगे योजना के प्रभारी एके सिंह का कहना है कि सभी 34 नालों की टैपिंग के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इनमें से 20 नालों की टैपिंग का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाएगा। उनका दावा है कि महाकुंभ-2025 पहले से सभी नालों की टैपिंग की योजना है।एसटीपी की क्षमता से 30 फीसदी अधिक निकल रहा सीवेज
जिले में छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं। इनकी करीब 300 एमएलटी पानी शोधन की क्षमता है। जबकि, शहर की जरूरत को देखते हुए 30 फीसदी तक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। इसे देखते हुए कई एसटीपी की क्षमता बढ़ाई जा रही है लेकिन यह नाकाफी है।

Prayagraj News : गंगा में गिर रहा नाले का गंदा पानी।
बन रहे तीन नए एसटीपी लेकिन पाइप लाइन बिछाने में लगेगा समय
फाफामऊ, छतनाग और नैनी में तीन नए एसटीपी बनाए जा रहे हैं। इन पर कुल 280 करोड़ की लागत आने की बात कही जा रही है। इनका निर्माण पहले ही हो जाना था लेकिन अभी काम चल रहा है। नमामि गंगे के एके सिंह का दावा है कि सितंबर तक तीनों एसटीपी तैयार हो जाएंगे। इसके बाद भी झूंसी तथा आसपास के क्षेत्र में सीवेज पाइन बिछाने और घरों से कनेक्टिविटी काम अभी बाकी है, जिसमें वर्षोँ लग सकते हैं।‘34 नालों का पानी सीधे नदियों में जा रहा है। अन्य नालों का पानी ट्रीटमेंट के बाद ही जा रहा है। सीधे नदियों से जुड़े 34 नालों की टैपिंग के लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। महाकुंभ से पहले काम पूरा करा लिया जाएगा। घाटों के किनारे बने सीवेज की ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। कोशिश है कि महाकुंभ से पहले शहर से निकलने वाला हर तरह का गंदा पानी शोधन के बाद ही नदियों में जाए।’ 

आशा खबर / शिखा यादव 

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