दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई तोड़फोड़ की एसआईटी जांच की मांग पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी।
30 मई को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया था। स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया था कि 08 लोग गिरफ्तार किए गए हैं और उन्हें जमानत मिल चुकी है। 20 लोगों को पूछताछ में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किए गए। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट की प्रति याचिकाकर्ता को देने से इनकार कर दिया था। हालांकि इसकी प्रति सीलबंद कवर में मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजने का आदेश दिया था। एएसजी संजय जैन ने मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजी जाने वाली प्रति में पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई वाले हिस्से को हटाने की मांग की थी। बेंच ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि स्टेटस रिपोर्ट की पूरी प्रति मुख्यमंत्री सचिवालय को दी जाए।
सुनवाई के दौरान संजय जैन ने कहा था कि उत्तरी दिल्ली के डीसीपी ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। अगर स्टेटस रिपोर्ट संतोषप्रद है तो इस याचिका को निस्तारित कर दिया जाना चाहिए। तब याचिकाकर्ता सौरभ भारद्वाज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि उन्हें स्टेटस रिपोर्ट की प्रति नहीं मिली है। ये एकतरफा कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। तब संजय जैन ने कहा था कि इसमें याचिकाकर्ता को कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री की सुरक्षा का मसला दिल्ली पुलिस और कोर्ट के बीच का है। तब कोर्ट ने कहा कि ये बातचीत का फोरम नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने फैसला किया है कि सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन के पास कोई प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। दिल्ली में दूसरी संवैधानिक प्राधिकार भी मौजूद हैं। राहुल मेहरा ने कहा था कि मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आवास जैसी क्यों नहीं की जा सकती है। दिल्ली पुलिस कह रही है हम केजरीवाल आवास के बाहर गेट लगा देंगे।
17 मई को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया था कि मुख्यमंत्री आवास पर 22 से 23 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। सड़क के दोनों तरफ गेट लगाने के लिए आरडब्ल्यूए से बात की जा रही है। सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन के पास किसी भी तरह की सभा या विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जाएगी।
1 अप्रैल को हाईकोर्ट ने केजरीवाल के आवास पर हुई हिंसा पर दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था। कोर्ट ने सभी सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित रखने का आदेश दिया था । कोर्ट ने डीसीपी उत्तर दिल्ली के इस बयान को दर्ज किया कि सभी दूसरे साक्ष्यों को संरक्षित रखा गया है। सुनवाई के दौरान सिंघवी ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करने की मांग की थी। सिंघवी की इस मांग का एएसजी संजय जैन ने विरोध करते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज की है । दिल्ली पुलिस कार्रवाई कर रही है। अगर जनहित याचिका पर नोटिस जारी होगा तो गलत परंपरा की शुरुआत होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हमने वीडियो देखा है। वो अराजक भीड़ थी। कैमरे तोड़ दिए गए। लोगों ने गेट पर चढ़कर उसे पार करने की कोशिश की। भीड़ ने कानून अपने हाथ में ले लिया था। कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री आवास पर पुलिस बंदोबस्त भी मजबूत नहीं थी।
आम आदमी पार्टी की ओर से सौरभ भारद्वाज ने इस मामले की एसआईटी से जांच की मांग की है। वकील भरत गुप्ता के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले 30 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर बीजेपी के गुंडों की ओर से तोड़फोड़ की गई। प्रदर्शन की आड़ में घटना को अंजाम दिया गया। डंडों से सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और उस गेट पर चढ़ गए जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस घटना में दिल्ली पुलिस की भी भूमिका संदेहास्पद है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद अगर उनके आवास पर इस तरह की तोड़फोड़ की जाती है तो ये दिल्ली पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
याचिका में कहा गया है कि सबको प्रदर्शन के जरिए विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन प्रदर्शन में हिंसा करने का अधिकार किसी को नहीं है। याचिका में रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने की मांग की गई है।
आशा खबर /शिखा यादव