पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित छात्र नेता अनीस खान हत्याकांड में राज्य सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वीकार कर लिया है कि पुलिस की लापरवाही से ही खान की मौत हुई है। राज्य पुलिस के महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने कोर्ट ने कहा है कि छत से गिरने से ही अनीस खान की मौत हुई है। हालांकि इसमें पुलिस की लापरवाही है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि पुलिस का इरादा उसे मौत के घाट उतारने का नहीं था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने जिस तरह से उसके घर छापेमारी की और जांच-पड़ताल की वह ठीक नहीं था। सिविक वॉलिंटियर इस अभियान में शामिल थे इसलिए अब इनकी नियुक्ति बंद रखना ही ठीक है।
उल्लेखनीय है कि इसी साल 18 फरवरी की रात पुलिस की वर्दी में चार लोग अनीस के घर गए थे जिसके बाद तीन मंजिला इमारत से गिरकर उसकी मौत हो गई थी। आरोप है कि पुलिस वाले ने उसे मारपीट कर छत से नीचे फेंक दिया था। परिवार सीबीआई जांच की मांग पर अड़ा है जबकि राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी ने दावा किया है कि पुलिस से भागने के दौरान छत से गिरकर मरा है। मंगलवार को न्यायमूर्ति राजशेखर महंथा की पीठ में मामले की सुनवाई हुई। न्यायाधीश ने पूछा कि आखिर जब वह छत से गिर गया तो पुलिस वाले उसे अस्पताल क्यों नहीं ले गए। ऐसी कैसी जांच की जा रही थी कि छत पर जाने की जरूरत पड़ी। इतनी सारी लापरवाही के बावजूद पुलिस ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?
इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि पुलिस जानती ही नहीं थी कि अनीस खान कौन है। कहीं भी इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि उसकी हत्या हुई है। सिविक वॉलिंटियरों की नियुक्ति फिलहाल बंद रखने की सिफारिश कर रहा हूं। इस पर सहमति जताते हुए न्यायाधीश ने कहा कि ठीक कह रहे हैं। इनका कोई दायित्व नहीं होता है।