-सूखने लगे बिचडे,खेतो मे पड़ी दरार
इस साल मौसम की बेरुखी ने पूरे जिले के किसानों की परेशानी बढ़ा दी है और खेत में लगे धान के बिचड़े अब सूखने लगे है।धान के खेतों में बड़़ी-बड़ी दरारे दिखने लगी है।लगभग एक माह बीतने के बाद भी जिले मे माॅनसून की स्थिति कमजोर बनी हुई है।
जून माह के दूसरे सप्ताह में हुई हल्की बारिश के बाद जुलाई के दूसरे सप्ताह बीतने के बाद बारिश की बूंद के लिए लोग तरसने लगे है।गत वर्ष अतिवृष्टि से बाढ झेल रहे पूरा जिला इस साल अनावृष्टि के कारण सूखे जैसे हालात का सामना कर रहा है।इस साल समान्य से लगभग 80 फीसदी कम बारिश होने के कारण वर्षाजल पर निर्भर खेती किसानी पिछड़ने लगा है।एक अनुमान के अनुसार जिले में अब तक महज 25 से 30 फीसदी ही रोपनी हो पाया है।जिन किसानों ने महंगी डीजल से पटवन कर खेती किये है उनका फसल भी खराब होने लगा है।जिससे किसानों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है।
कई किसानों ने बताया कि खाद,ट्रैक्टर का भाड़ा,पानी का पटवन सहित अन्य खर्च कर धान का रोपनी कराया था।लेकिन बारिश न होने से अब उसकी जड़े भी सूखने लगी है। कुछ किसानों ने बताया कि जिले में सभी सरकारी नलकूपे प्राय:ठप्प है।साथ ही जिले के ज्यादातर नहरे भी सूखी पड़ी है।ऐसे में तेज धूप और बढती तापमान के कारण फसल को भारी नुकसान हुआ है।मौसम विभाग की माने तो जिले में प्रतिदिन 1 से 3 डिग्री सेल्सियस तापमान में रोज वृद्धि दर्ज की जा रही है।साथ ही सापेक्ष आर्द्रता भी लगातार धट रही है।10 से 12 किलोमीटर की रफ्तार से पूरबा हवा बहने से तेज गर्मी लेकिन बादल और बारिश की बूंदे नदारद है।
मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार अगले 19 जुलाई तक यही हालात रहने की उम्मीद जताई जा रही है।यो कहे जलवायु परिवर्तन के कहर से जिलेवासियों को अभी राहत नही मिलने वाली है।
आशा खबर / शिखा यादव