सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेजों के फर्जीवाड़े मामले के आरोपित और महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक जयकुमार गोरे को कोई राहत नहीं दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने जयकुमार को ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरेंडर करने के बाद नियमित जमानत के लिए याचिका दायर करें।
23 जून को कोर्ट ने जयकुमार की गिरफ्तारी पर बांबे हाई कोर्ट की ओर से लगी अंतरिम रोक बढ़ा दी थी। जयकुमार पर महाराष्ट्र के मायानी गांव की भूमि का फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। जयकुमार के खिलाफ महादेव पिराली भिसे की शिकायत पर दहीवादी थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है। जयकुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 193, 199, 200, 419, 420, 423, 205, 209, 467, 426, 465,468, 471 और 34 और एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1)(ए) और 3 (1) (जी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
सुनवाई के दौरान जयकुमार की ओर से वकील महेश जेठमलानी ने कहा था कि जयकुमार के खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से एफआईआर दर्ज की गई है। ये एफआईआर छत्रपति शिवाजी एजुकेशन सोसायटी के प्रशासन पर नियंत्रण के लिए विरोधी गुट ने कराई है। उन्होंने कहा था कि एमओयू पर किया गया फर्जी हस्ताक्षर जयकुमार ने नहीं किया है। जेठमलानी ने कहा था कि जयकुमार जांच में सहयोग देने को तैयार हैं।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल