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मदरसों और स्कूलों के बीच समन्वय के लिए दो दिवसीय शिक्षा सम्मेलन 2 जुलाई से

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बंगाल में 614 मदरसे और साढ़े 4 लाख विद्यार्थी : कभी मॉडल थे, आज दहशतगर्दी  की तोहमत - bengal madrasa role model mha terror alert mamata banerjee  muslim community - AajTak

– एएमयू और जामिया के पूर्व कुलपति समेत जाने-माने पूर्व प्रशासनिक अधिकारी करेंगे शिरकत

मदरसों और स्कूलों के बीच समन्वय के लिए दिल्ली के जामिया हमदर्द के सभागार में आगामी 2-3 जुलाई को एक शिक्षा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में देशभर से शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को आमंत्रित किया गया है। सम्मेलन का आयोजन एलायंस फॉर इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट ऑफ दि अंडर प्रिविलेज के जरिए किया जा रहा है।

एलायंस फॉर इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट ऑफ दि अंडर प्रिविलेज के अध्यक्ष अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह है। सम्मेलन में मुख्य रूप से दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल और जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति नजीब जंग, पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, राज्यसभा के पूर्व उपसभापति के रहमान खान, प्रख्यात पत्रकार और पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दीकी, सामाजिक कार्यकर्ता सलीम शेरवानी आदि भूमिका निभा रहे हैं।

इस सम्मेलन के मकसद और भारतीय मुसलमानों को इससे होने वाले फायदे के बारे में शाहिद सिद्दीकी ने हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में बताया कि हमारे देश में मुसलमानों के प्रमुख शिक्षा के स्रोत मदरसे ही हैं। आमतौर से मुस्लिम बच्चों की शिक्षा की शुरुआत इन्हीं मदरसों से ही होती है। मदरसों को मॉडर्न बनाने के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं। भविष्य में कुछ मदरसों को मॉडर्न एजुकेशन से जोड़ा भी गया है, जिसके परिणाम काफी अच्छे आ रहे हैं। उनका कहना है कि हमारा मकसद भी मदरसों की शिक्षा को बेहतर बनाना है और वहां पर साइंस, कंप्यूटर की शिक्षा को बढ़ावा देना है। उनका कहना है कि जब हम मदरसों को मॉडर्न एजुकेशन से जोड़ देंगे तो वहां से शिक्षा प्राप्त करके निकलने वाले बच्चों को हम बकायदा स्कूल में दाखिला देकर 10वीं 12वीं कक्षा में पास करा कर उन्हें उच्च शिक्षा की तरफ ले जाने में सफल हो सकते हैं।

अपनी आगे की रणनीति के बारे में उन्होंने कहा कि स्कूलों में मदरसों के छात्रों के लिए विशेष प्रबंध करने की जरूरत है। इसके साथ ही कॉलेज और विश्वविद्यालय आदि में भी मदरसों के छात्रों के लिए एडमिशन आदि के में कुछ छूट देने की जरूरत है। इसीलिए हम लोगों ने दो दिवसीय सम्मेलन बुलाया है, जिसमें गैर सरकारी संगठनों, मदरसों के जिम्मेदारों, स्कूलों के जिम्मेदारों, प्रोफेशनल संस्थानों के जिम्मेदारों, शिक्षाविदों, शिक्षकों आदि को एक जगह एकजुट कर इसके तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श कर एक दूरगामी और प्रभावशाली रणनीति बनाई जाएगी।

इस सम्मेलन का मकसद संयुक्त रूप से एकत्र होकर इस दिशा में बेहतर कोशिश करना है। एक दूसरे को सिखाना है और शिक्षा को बढ़ावा देना है। शाहिद सिद्दीकी का कहना है कि सांसद रहते हुए हमने कई मदरसों को मॉडर्न एजुकेशन से जुड़ने के लिए अपने फंड से ही कंप्यूटर आदि उपलब्ध कराया था। हम मदरसों के बच्चों को केवल मौलवी, इमाम व मोअज्जिन नहीं बनाना चाहते बल्कि उन्हें एक काबिल डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, वकील, स्कॉलर आदि बनाकर देश की सेवा के लिए तैयार करना चाहते हैं।

उनका कहना है कि यह सम्मेलन देश के लिए और देश के मुसलमानों के लिए आने वाले 50 सालों की रूपरेखा तैयार करेगा। मदरसों के बच्चों में क्षमता बहुत अधिक होती है। केवल उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है। अगर हम इसमें कामयाब होते हैं तो आने वाले दिनों में एक बेहतर और पढ़ा-लिखा समाज बनाने में हम कामयाब हो जाएंगे।

गौरतलब है कि जनरल जीमरुद्दीन शाह के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मदरसा छात्रों के लिए ब्रिज कोर्स चलाया गया था। इसमें मदरसों से पास होने वाले छात्रों को आधुनिक शिक्षा से जोड़कर उनके लिए उच्च शिक्षा के द्वार खोलने का प्रयास किया गया। खास बात यह है कि इसमें प्रवेश लेने वाले मदरसा छात्रों में विषयों को याद करने और समझने की अपार क्षमता देखी गई। इसे देखते हुए एएमयू के पूर्व कुलपति शाह ने इसे मिशन के रूप में आगे बढ़ाने पर जोर दिया है।

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