जम्मू कश्मीर के पुंछ हमले ने खुफिया एजेंसियों के लिए चुनौती पैदा हो गई है। तीनों ही हमलों में आतंकियों का कुछ पता नहीं चला है। जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि खुफिया तंत्र में कहीं न कहीं बड़ी कमी है, जो आतंकियों की मौजूदगी का पता नहीं लगा पा रहे।
पुंछ हमले ने खुफिया एजेंसियों के लिए चुनौती पैदा कर दी है। पिछले एक वर्ष में यहां यह एक ही तरह का तीसरा हमला है और तीनों ही हमलों में आतंकियों का कुछ पता नहीं चला। हैरानी की बात तो यह है कि तीनों हमलों को एक ही तरीके से अंजाम दिया गया।
जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैद का मानना है कि खुफिया तंत्र में कहीं न कहीं बड़ी कमी है, जो आतंकियों की मौजूदगी का पता नहीं लगा पा रहे। सूत्रों का कहना है कि पुंछ के जंगलों में 15 से 20 आतंकियों का दल मौजूद है। इसमें पाकिस्तानी सेना के रिटायर कमांडो तक शामिल हैं। इनकी मूवमेंट लगातार इस पार उस पार लगी हुई है।
जानकारी के अनुसार 20 अप्रैल 2023 को पुंछ के भाटादुड़ियां में आतंकियों ने एक सैन्य ट्रक को घेरकर गोलियां बरसाईं। इसमें पांच जवान बलिदान हो गए। 22 दिसंबर, 2023 में बफलियाज में सैन्य वाहनों को घेरकर हमला किया गया। इसमें 4 जवान बलिदान हो गए। अब तीसरा हमला फिर वैसे ही वायुसेना के जवानों पर किया गया है। इसमें एक जवान बलिदान हो गया।
पुंछ में सैन्य वाहनों को निशाना बनाकर हमला करने की रणनीति एक जैसी ही है। आतंकी हमला करने के लिए शाम का वक्त चुनते हैं या फिर खराब मौसम को। क्योंकि हमला करने के बाद रात के समय में इनका पता लगाना मुश्किल होता है। हमला करने के बाद वह ऐसे रूट का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी पहले ही उन्होंने दर्जनों बार रेकी की होती है। वह हमला करने के लिए इन रूट का इस्तेमाल करते हैं।
पूर्व डीजीपी एसपी वैद का कहना है कि लगातार हमले होना खुफिया तंत्र की कमी है। चूक तो हो रही है, क्योंकि हम आतंकियों की मौजूदगी का पता नहीं लगा पा रहे। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खुफिया तंत्र को सक्रियता से काम करना होगा। साथ ही सैन्य वाहनों की मूवमेंट में ड्रोन का इस्तेमाल या फिर दूसरे तकनीकी बंदोबस्त की मदद लेनी