असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा का कहना है कि कांग्रेस को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता देना ही नहीं चाहिए था। वीएचपी ने उन्हें पापों को सुधारने का एक अवसर दिया था लेकिन वे चूक गए।
निमंत्रण की हकदार नहीं थी कांग्रेस
शर्मा ने दावा किया कि कांग्रेस शुरुआत से ही अयोध्या में राम मंदिर के बारे में अपने विचारों को लेकर इस तरह के निमंत्रण की हकदार नहीं थी। शर्मा ने गुवाहाटी में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह परंपरा (हिंदू समुदाय का विरोध करने की) पंडित (जवाहरलाल) नेहरू द्वारा उस समय शुरू की गई थी जब उन्होंने (मई 1951) में सोमनाथ मंदिर समारोह का बहिष्कार किया था। वही परंपरा कांग्रेस की वर्तमान पीढ़ी के साथ जारी है।पं.नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के साथ जो किया, वही कांग्रेस नेतृत्व राम मंदिर के साथ कर रहा है।’’
मुझे उन पर दया आती है
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले वर्षों और दशकों तक कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी माना जाता रहेगा। मुझे उन पर दया आती है और दुख भी होता है क्योंकि हिंदू सभ्यता का सम्मान करने के लिए किसी को मुस्लिम विरोधी होना जरूरी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व हिंदू परिषद ने जाने-अनजाने में कांग्रेस नेतृत्व को श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने का निमंत्रण देकर उसके कुछ पाप कम करने का सुनहरा अवसर दिया था।” शर्मा ने कहा, ‘‘कांग्रेस शुरुआत से ही अयोध्या में राम मंदिर के बारे में अपने विचारों को लेकर इस तरह के निमंत्रण की हकदार नहीं थी।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा कि कांग्रेस इस निमंत्रण को स्वीकार कर प्रतीकात्मक रूप से हिंदू समाज से माफी मांग सकती थी। शर्मा ने पोस्ट के साथ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश द्वारा जारी बयान भी साझा किया जिसमें पार्टी नेताओं सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी को मिले निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया गया था।