कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन को बीजेपी और आरएसएस का प्रोग्राम बताकर न्योता ठुकरा दिया है। जबकि सच ये है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मोहन भागवत में से कोई भी कार्यक्रम के मुख्य यजमान नहीं हैं। वहीं, कांग्रेस हाईकमान ने अयोध्या का न्योता ठुकराया तो बीजेपी को मौका मिल गया।
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर ने भी हाईकमान को नसीहत दी है कि उन्हें जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए। डैमेज कंट्रोल के तौर पर दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये शंकराचार्यों के हिसाब से नहीं हो रहा है, बीजेपी उनका अपमान कर रही है।
जयराम रमेश ने जारी किया पत्र
कांग्रेस की टॉप लीडरशिप ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ठुकरा दिया है। ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, इनमें से कोई भी 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएगा। तीनों नेताओं ने ये फैसला लेने में दो हफ्ते से ज्यादा का वक्त लगा दिया।
पार्टी के महासचिव और कम्यूनिकेशन चीफ जयराम रमेश ने जो पत्र जारी किया है, उसके मुताबिक- ”पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में आयोजित होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला। भगवान राम की पूजा अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय रहा है, मगर भाजपा और आरएसस ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है। स्पष्ट है कि एक अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है। 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हुए एवं लोगों की आस्था का सम्मान में मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी बीजेपी और आरएसस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।”
कांग्रेस को ऐसे फैसलों से दूर रहना चाहिए- अर्जुन मोढ़वाडिया
कांग्रेस हाईकमान ने अयोध्या का न्योता ठुकरा तो दिया लेकिन इससे पार्टी के अंदर असंतोष की लहर फूट पड़ी है। पार्टी के नेता कहीं दबी ज़बान में तो कहीं खुलकर इस फैसले के विरोध में बयान देने लगे हैं। इनमें कांग्रेस समर्थक आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, गुजरात से कांग्रेस के सीनियर नेता अर्जुन मोढ़वाडिया हैं। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर हैं ये सब के सब हाईकमान के फैसले से नाराज़ हैं। कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले का गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढ़वाडिया ने खुलकर विरोध किया है। अर्जुन मोढ़वाडिया सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखते हैं- भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।
गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ता निराश- अंबरीश डेर
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर ने लिखा है- ”मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम हमारे आराध्य देव हैं इसलिए यह स्वाभाविक है कि भारत भर में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है। कांग्रेस के कुछ लोगों को उस खास तरह के बयान से दूरी बनाए रखनी चाहिए और जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए। इस तरह के बयान से मेरे जैसे गुजरात कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक हैं। जय सियाराम”
नकुलनाथ ने जारी किया ऐसा वीडियो
गुजरात से यूपी तक कांग्रेस को अपनी ही पार्टी की लाइन के खिलाफ आवाज़े सुनाई देने लगीं। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने पूरी कोशिश की कि पार्टी राम विरोधी ना दिखे इसके लिए उन्होंने 22 जनवरी की जगह 15 जनवरी को दर्शनों का ऐलान कर दिया। कांग्रेस हाईकमान अयोध्या का निंमत्रण ठुकरा रही है तो एमपी में पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ उस अभियान में लगे हैं जो पार्टी लाइन के मुताबिक नहीं है। नकुल नाथ ने वीडियो जारी करते हुए लिखा, ”4 करोड़ 31 लाख राम नाम लिखकर छिंदवाड़ा इतिहास रचने जा रहा है। आज उसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी के साथ सिमरिया हनुमान मंदिर पहुँचकर पत्रक में राम नाम लिखा। आप सभी से अपील करता हूँ कि इस ऐतिहासिक कार्य में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें।”