गांव के निवासी सेरिंग पेंडन ने कहा, अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा नहीं हो सकता। हम भारतीय हैं और अरुणाचल भारत का अखंड हिस्सा है। हम भारतीय सेना के साथ सुरक्षित हैं। गांव में चीन सीमा पर 1,000 भारतीय सैनिक निगरानी कर रहे हैं। सीमा पूरी तरह सुरक्षित है। हम भी जवानों को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
3 दिन की पैदल दूरी अब 2 घंटे की
मोगा चूना के निवासियों ने बताया कि भाजपा के नेतृत्व में सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। सेरिंग ने बताया कि नौ साल पहले तक गांव में सड़क नहीं थी। अब दो सड़कें बनीं। इनकी वजह से अब लोगों को निकटवर्ती शहर जांग पहुंचने में महज दो घंटे लगते हैं। पहले यहां पैदल जाना होता था, जिसमें तीन दिन लग जाते थे।
यह गांव भारत-चीन सीमा से महज चार-पांच किमी दूर है। यहां के वासी ताशी पेंडन ने बताया कि पहले इसे अरुणाचल में चीन सीमा की ओर आखिरी गांव कहा जाता था, लेकिन मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इसे ‘भारत का पहला गांव’ घोषित किया है। यह तवांग जिले की थिंग्बू तहसील में आता है। पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां हो रहे विकास कार्यों को ग्रामीणों के सशक्तीकरण का जरिया बताया था। मुख्यमंत्री ने हाल में कहा था कि ‘गोल्डन जुबली बॉर्डर विलेज इल्यूमिनेशन प्रोग्राम’ और 200 करोड़ की लागत से बनने वाले 50 छोटे व लघु पनबिजली प्रोजेक्ट से हालात में सुधार आ रहा है। इनसे सीमावर्ती गांवों में हर समय बिजली आपूर्ति होगी।
स्कूल, अस्पताल, सर्किट हाउस बन रहे
सेरिंग ने बताया कि पहले गांव में सीमेंट की एक बोरी 1,500 से 2,000 रुपये की मिलती थी। अब ऐसा नहीं है, बल्कि निर्माण कार्य तेज हुए हैं। स्कूल, अस्पताल, सर्किट हाउस बन रहे हैं। पानी व बिजली की आपूर्ति हो रही है। दो छोटी पनबिजली परियोजनाएं भी गांव में बनी हैं। इनका फायदा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों को भी मिल रहा है।
आपसी सहयोग बढ़ा
एक अन्य ग्राम वासी सेरिंग दोंदू ने संतोष जताया कि वे भारतीय सेना की वजह से अब खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। सेना से स्थानीय निवासियों को सहयोग बढ़ा है, ग्रामीण भी यथा संभव सहयोग दे रहे हैं। मागो की ही निवासी दोरमू तिमा बताती हैं कि यहां हुए विकास कार्यों ने लोगों का जीवन बेहतर बनाया है, वे अब ज्यादा सुखी हैं।