मायावती ने एनडीए और इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखने का संदेश देकर छोटे दलों की राह आसान कर दी है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तमाम ना-नुकुर के बाद उन्होंने शनिवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनावी गठबंधन कर लिया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एनडीए और इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखने का संदेश देकर छोटे दलों की राह आसान कर दी है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तमाम ना-नुकुर के बाद उन्होंने शनिवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनावी गठबंधन कर लिया। आगामी लोकसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ यदि बसपा का गठबंधन होता है, तो हैरत की बात नहीं होगी।
जानकारों के मुताबिक बसपा आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत खुद को सपा से ज्यादा मजबूत मान रही है। संसद में उसके सदस्यों की संख्या सपा से अधिक होना, इस आत्मविश्वास की मुख्य वजह है। वहीं, बसपा सुप्रीमो ने बीते दिनों जिस तरह महिला आरक्षण के मुद्दे पर पिछड़ों के हक की बात की, उससे साफ होता है कि दलितों के साथ पिछड़ों को भी पार्टी की विचारधारा में शामिल करके वोट बैंक के समीकरणों पर असर डाला जा सकता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाद बसपा को प्रदेश की दूसरी बड़ी सियासी पार्टी के रूप में दर्शाना उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बता दें कि इससे पहले बसपा कई राज्यों में छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुकी है। हाल ही में पंजाब में उसने शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, हालांकि कोई खास सफलता नहीं मिल सकी।
सपा बन रही इंडिया से दूरी की वजह
पार्टी सूत्रों की मानें तो इंडिया गठबंधन से दूरी की वजह समाजवादी पार्टी है। बसपा गठबंधन में खुद को सपा से कमतर आंकने को तैयार नहीं है। उसकी नजरें इंडिया गठबंधन के बजाय रालोद जैसे दलों पर है। बसपा और रालोद के साथ आने से पश्चिमी उप्र में बड़ा उलटफेर हो सकता है।