भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैलियों में उनके साथ मंच पर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देने वाला कानून पास कराकर पहले ही महिला मतदाताओं को भाजपा के पाले में खींचने का दांव चल दिया है। वह आगामी लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में ज्यादा महिलाओं को टिकट देकर विपक्षी दलों को दबाव में लाने की रणनीति अपनाएगी। महिलाओं को टिकट देते समय भी ‘जीतने की क्षमता’ सबसे बड़ा मापदंड होगा।
लेकिन महिलाओं के उत्थान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को ज्यादा मजबूती के साथ दिखाने के लिए वह उन्हें ज्यादा से ज्यादा टिकट भी देगी जिससे महिलाओं को यह संदेश दिया जा सके कि पार्टी उनको आगे लाने के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है। ऐसा करते हुए सामाजिक और वर्गीय समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाएगा। ऐसा करने से भाजपा का महिला मतदाताओं पर दावा ज्यादा मजबूत हो सकेगा, जबकि कम महिलाओं के प्रतिनिधित्व और टिकट देने के मामले में दूसरे दल घिर सकते हैं।
यदि महिलाओं को टिकट देने को आधार बनाया जाए इस मामले में सबसे मजबूत काम कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान किया था। पार्टी ने एक तिहाई सीटें महिलाओं को देने का वादा किया था, लेकिन कई क्षेत्रों में उसने 40 प्रतिशत तक टिकट महिला उम्मीदवारों को दिया था। हालांकि, पूरा चुनाव योगी आदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव के इर्द-गिर्द सिमटने के कारण कांग्रेस को इस रणनीति का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया था।