विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि उन्हें लगता है कि मणिपुर की हालत के यहां आए प्रवासी भी जिम्मेदार हैं। हालांकि, ऐसे तनाव भी हैं, जिनका स्पष्ट रूप से एक लंबा इतिहास रहा है जो उससे पहले का है।
मणिपुर में चार महीने से अधिक समय से हिंसा जारी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक मणिपुर में शांति लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। साथ ही सरकार ऐसा रास्ता तलाश रही है, जिससे वहां स्थिति सामान्य हो सके और पर्याप्त कानून-व्यवस्था लागू हो।
तनाव का इतिहास लंबा
जयशंकर मंगलवार को काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) में भारत के पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर सवालों का जवाब दे रहे थे। विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मणिपुर की हालत के यहां आए प्रवासी भी जिम्मेदार हैं। हालांकि, ऐसे तनाव भी हैं, जिनका स्पष्ट रूप से एक लंबा इतिहास रहा है जो उससे पहले का है।’
रास्ता खोजने का प्रयास जारीउन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से ऐसा रास्ता खोजने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे स्थिति सामान्य हो सके। हिंसा के दौरान जब्त किए गए हथियार बरामद किए जा सकें, पर्याप्त कानून-व्यवस्था लागू की जा सके। ताकि वहां हिंसा की घटनाएं न घटें।’
संयुक्त राष्ट्र और भारत की अनबन
इस महीने की शुरुआत में, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा था कि वे मणिपुर में महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाकर की गई हिंसा की खबरों और तस्वीरों से हैरान हैं। उन्होंने भारत सरकार से घटनाओं की जांच करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए मजबूत कार्रवाई करने का आग्रह किया था। विशेषज्ञों ने मणिपुर में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन और दुर्व्यवहार की रिपोर्टों पर चिंता जताई, जिसमें कथित यौन हिंसा, हत्याएं, घर नष्ट करना, लोगों को घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना, यातना और दुर्व्यवहार के कृत्य शामिल हैं।
हालांकि, भारत ने इन टिप्पणियों को खारिज करते हुए इन्हें ‘अनुचित, अनुमानित और भ्रामक’ बताया था और कहा था कि राज्य में स्थिति शांतिपूर्ण है।
विदेश मंत्री का बयान
जयशंकर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि प्रवक्ता ने की थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आप मुझसे पूछना चाहते हैं कि क्या वह सही थी, तो हां।
इस दौरान, मंत्री से स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट और अमेरिकी सरकार द्वारा वित्त पोषित एनजीओ फ्रीडम हाउस की रिपोर्टों के बारे में भी पूछा गया था, जिसमें स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर भारत की आलोचना की गई थी। जयशंकर ने दोनों संगठनों की आलोचना की थी। सीएफआर इवेंट में इस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर आप इसे समझने के लिए सही हैं, तो मेरा जवाब यह है कि मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट है कि जो लोग ये रिपोर्ट लिख रहे हैं उन्होंने पहले से ही एक साइड बनाकर रख ली है। वे अक्सर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं।’ उन्होंने कहा कि इनमें से कई रिपोर्ट सच में अशुद्धियों से भरी हैं।