पुर्तगाल के राष्ट्रपति ने कहा, सुरक्षा परिषद की अवधारणा पुराने ढांचे में सही हो सकती है लेकिन अब वह दुनिया अस्तित्व में नहीं है। अब भारत और ब्राजील एक बड़े देश और लोकतंत्र के रूप में दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता।
सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र में पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी. सूसा का भी समर्थन मिला है। उन्होंने भारत और ब्राजील को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मजबूत पैरोकारी की और जोर दिया कि इन देशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उधर, तुर्किये ने 5 मौजूदा सदस्यों समेत 15 अस्थायी सदस्यों को स्थायी करने का पक्ष लिया।
दुनिया पांच देशों से भी विशाल: अर्दोऑन
तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा, दुनिया पांच स्थायी सदस्यों से भी काफी बड़ी और विशाल है। ऐसे में भारत को स्थायी सदस्यता मिलना ही चाहिए। कुल 20 सदस्य बारी-बारी से भी यूएनएससी में अपना प्रभाव जारी रख सकते हैं।
कश्मीर मुद्दा उठाने से भी पीछे नहीं हटा तुर्किये
तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोऑन ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय 78वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, भारत-पाकिस्तान में संवाद व सहयोग के जरिये कश्मीर में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति की स्थापना कर दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। तुर्किये इस दिशा में उठाए गए कदमों का समर्थन करना जारी रखेगा। एर्दोआन ने कुछ सप्ताह पहले नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।