कनाडाई पीएम ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार की साजिश हो सकती है। इसपर भारत सरकार ने भी पलटवार किया और सभी बयानों को बेतुका बताया। अब एक रिपोर्ट ने साफ किया है कि ट्रूडो ने अमेरिका से भारत की निंदा करने की मांग की थी।
कनाडा और भारत के बीच हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर मनमुटाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। बताया गया है कि पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए आरोपों से कुछ सप्ताह पहले कनाडा के अधिकारियों ने अमेरिका सहित कई सहयोगियों से निज्जर की हत्या की सार्वजनिक निंदा करने की मांग की थी। हालांकि, सभी देशों ने इससे इनकार कर दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बाइडन प्रशासन और उसके सहयोगियों के सामने आने वाली राजनयिक चुनौतियों पर प्रकाश डालता है क्योंकि ये भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू
गौरतलब है, कनाडा और भारत के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो चुका है। कनाडाई पीएम ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार की साजिश हो सकती है। इसपर भारत सरकार ने भी पलटवार किया है। उन्होंने सभी बयानों को बेतुके बताया है।
पिछले साल प्रत्यर्पण की मांग
अमेरिकी की एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली में सिंतबर में होने वाली जी-20 शिखर सम्मेलन से कुछ हफ्तों पहले पांच देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चर्चा हुई थी। हालांकि, इस चर्चा के बारे में कोई सार्वजनिक उल्लेख नहीं किया गया था। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि निज्जर को 2020 में भारत की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था और उस पर पंजाब में हमलों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था। भारत ने 2022 में उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी।
तनाव बढ़ता जा रहा
आगे बताया गया कि भारत कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों पर खालिस्तान आंदोलन पर कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल रहा था, जहां महत्वपूर्ण सिख समुदाय हैं। लंदन और कनाडा में लगातार खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शन होते रहते हैं। इसी से तनाव बढ़ता जा रहा है। यह कूटनीतिक विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब पश्चिमी देश प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की आलोचना करने से बचते हुए भारत के साथ अपनी भू-राजनीतिक और व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करना चाहते हैं।
पश्चिमी सरकारों के सामने दुविधा
वहीं, दक्षिण एशिया के विश्लेषक माइकल कुगेलमैन ने पश्चिमी सरकारों के सामने आने वाली दुविधा की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी सरकार ने कनाडा को एक सहयोगी के रूप में स्वीकार किया, लेकिन एक प्रमुख रणनीतिक भागीदार के रूप में भारत के साथ अपने संबंधों को भी महत्व दिया है।
कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि ट्रूडो ने राष्ट्रपति बाइडन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के समक्ष आरोपों को उठाया है। इसके जवाब में अमेरिका ने चिंता व्यक्त की और कनाडा की जांच और अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने के महत्व पर जोर दिया। ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत के साथ यह मुद्दा उठाया था। इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा होने की उम्मीद है।