तमिलनाडु के मदुरै एआईएडीएमके सम्मेलन में एडप्पादी पलानीस्वामी को ‘क्रांतिकारी तमिल’ (पुरैची तमिलर) की उपाधि से सम्मानित किया गया।
तमिलनाडु के मदुरै एआईएडीएमके सम्मेलन में एडप्पादी पलानीस्वामी को ‘क्रांतिकारी तमिल’ (पुरैची तमिलर) की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस उपाधि के साथ ही वह एआईएडीएमके के दिग्गजों, दोनों दिवंगत मुख्यमंत्रियों संस्थापक एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) और जे जयललिता के साथ क्रांतिकारी कहलाने वालों में शामिल हो गए हैं। तमिलनाडु के पूर्व सीएम एमजीआर ‘पुरैची थलाइवर’ थे और जयललिता ‘पुरैची थलाइवी’ थीं, दोनों का अर्थ क्रांतिकारी नेता था। पार्टी कार्यकर्ता अक्सर इन उपाधियों से उनको बुलाते थे।
नीट को लेकर डीएमके पर साधा निशाना
के पलानीस्वामी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से एकत्र हुए हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और अपने संबोधन में उन्होंने सत्तारूढ़ द्रमुक के खिलाफ निशाना साधा, इसी के साथ अन्नाद्रमुक को लोगों की सहायता करने वाला सच्चा साथी बताया। उन्होंने कहा कि विवादास्पद राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान शुरू की गई थी, जिसमें डीएमके एक प्रमुख घटक थी। उनका हमला द्रमुक नेता और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि की एनईईटी के संबंध में अन्नाद्रमुक पर निशाना साधने वाली टिप्पणियों के जवाब में आया। आगे कहा कि इसे खत्म करने की मांग को लेकर रविवार को डीएमके का एक दिवसीय भूख हड़ताल करना एक नाटक था।
एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने कहा कि एनईईटी 2010 में पेश किया गया था जब डीएमके सांसद गांधीसेल्वन कांग्रेस शासन के दौरान स्वास्थ्य राज्य मंत्री थे। आज वे इसे छुपाने के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं। डीएमके नीट परीक्षा लेकर आई लेकिन आज वह इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही है। तंज कसते हुए पलानीस्वामी बोले कि उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि अगर डीएमके सत्ता में आई तो नीट परीक्षा रद्द कर दी जाएगी लेकिन डीएमके को आए तीन साल हो गए हैं सत्ता में लेकिन इसे रद्द नहीं किया गया है।
पलानीस्वामी ने अन्नाद्रमुक शासन के दौरान हुए काम गिनाए
पलानीस्वामी ने पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक शासन की विभिन्न पहलों की बात की जिनमें कावेरी मुद्दे पर कानूनी लड़ाई जीतना, कोविड महामारी से प्रभावी ढंग से निपटना, शिक्षा क्षेत्र में योगदान देना आदि शामिल हैं। उन्होंने कथित अवैध शराब बार सहित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर द्रमुक सरकार पर निशाना साधा और साथ ही 1970 के दशक में भारत द्वारा कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को सौंपने को लेकर भी पार्टी पर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि जब तत्कालीन (कांग्रेस) सरकार ने द्वीप पड़ोसी को सौंप दिया था तब दिवंगत एम करुणानिधि राज्य के मुख्यमंत्री थे।
इस सभा में लगभग दो लाख लोगों के शामिल होने की व्यवस्था की गई थी। साथ ही बैठक में भाग लेने वाले अन्नाद्रमुक स्वयंसेवकों को भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। बैठक की शुरुआत से लेकर सुबह से ही कार्यकर्ता जमा होते रहे। वहीं पलानीस्वामी का संबोधन शाम छह बजे हुआ।