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लोकसभा चुनाव में चिराग मांग रहे छह सीटें; हाजीपुर की सीट चाचा पशुपति के लिए छोड़ने को नहीं हैं तैयार

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बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लोजपा को छह सीटें दी थीं। तब लोजपा का नेतृत्व दिवंगत रामविलास पासवान कर रहे थे और पार्टी ने सभी छह सीटें जीती थीं। उनके निधन के बाद पार्टी में बगावत के बाद वह दो धड़ों में बंट गई। मूल लोजपा का नेतृत्व पशुपति पारस के पास चला गया और चिराग अकेले पड़ गए।

मोदी मंत्रिमंडल का संभावित अंतिम विस्तार टल सकता है। दरअसल, लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले बिहार में सीटों के फॉर्मूले पर सहमति बनाने की मांग रखी है। चिराग चाहते हैं कि भाजपा पहले की तरह उनकी पार्टी को राज्य में लोकसभा की छह सीटें दे। इसमें हाजीपुर की सीट भी शामिल है, जिसे उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस किसी कीमत पर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लोजपा को छह सीटें दी थीं। तब लोजपा का नेतृत्व दिवंगत रामविलास पासवान कर रहे थे और पार्टी ने सभी छह सीटें जीती थीं। उनके निधन के बाद पार्टी में बगावत के बाद वह दो धड़ों में बंट गई। मूल लोजपा का नेतृत्व पशुपति पारस के पास चला गया और चिराग अकेले पड़ गए। मूल लोजपा पहले की तरह राजग और मोदी सरकार में बनी रही। हालांकि, चिराग तब से अब तक विरासत की जंग लड़ रहे हैं।

कहां फंसा पेच 
भाजपा की योजना मोदी मंत्रिमंडल में अंतिम विस्तार के जरिये बिहार सहित कई राज्यों में सियासी संतुलन साधने की है। इनमें से बिहार में भाजपा दलित वोटों को अपने पाले में लाना चाहती है। इसी कड़ी में जीतन राम मांझी के साथ ही पार्टी ने चिराग से भी हाथ मिलाया। अब चिराग चाहते हैं कि भाजपा उनकी पार्टी को मूल लोजपा मानते हुए पहले की तरह हाजीपुर सहित छह सीटें दे। चिराग मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले स्पष्ट वादा चाहते हैं। ऐसे में चिराग नहीं माने तो मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना पर पानी फिर सकता है।

एनसीपी को लेकर भी ऊहापोह
पहले रणनीति यह थी कि राजग को विस्तार देने के साथ ही पुराने सहयोगियों को साधने के बाद अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार किया जाए। इस क्रम में एक समय अकाली दल, टीडीपी, जेडीएस से भी बातचीत हुई। बाद में फैसला लिया गया कि पार्टी इन दलों से गठबंधन नहीं करेगी। फिर लोजपा रामविलास, एनसीपी का अजित पवार धड़ा और शिवसेना शिंदे गुट को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर चर्चा हुई। चूंकि एनसीपी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, ऐसे में भाजपा विवाद के बीच एनसीपी को मंत्रिमंडल में शामिल कराने की पक्षधर नहीं है। ऐसे में पार्टी के पास चिराग और शिवसेना शिंदे गुट को मंत्रिमंडल में शामिल करने का विकल्प था, मगर चिराग के रुख से पेच फंस गया।

सत्र के बाद होगा अंतिम फैसला
बहरहाल मंत्रिमंडल विस्तार पर संसद सत्र के बाद फैसला होगा। पहले भाजपा को बिहार में सीट बंटवारे की गुत्थी सुलझानी होगी। पार्टी की योजना पहले खुद 30 सीटों पर लड़ने और सहयोगियों के लिए 10 सीटें छोड़ने की थी। हालांकि, पार्टी लोजपा के दोनों धड़ों के बीच उलझ गई है।

जमुई से चुनाव लड़ेंगे चिराग, मां को हाजीपुर से उतारने की तैयारी
इससे पहले, चिराग पासवान ने रविवार को एलान किया कि वह जमुई लोकसभा सीट से फिर से चुनाव लड़ेंगे। वह लगातार दूसरी बार इस सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने खुलासा किया कि वह अपनी मां को हाजीपुर सीट से उतारना चाहते हैं। चिराग ने दावा किया है कि उनके पिता जब 2019 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे तो वह चाहते थे कि वह (चिराग) हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ें। वहीं, पारस ने इस दावे का कड़ा विरोध किया है।

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