जीएसटी परिषद एक नया नियम लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत कंपनी या कारोबारी को अधिक इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) के दावे का कारण बताना होगा। साथ ही अतिरिक्त राशि सरकारी खजाने में जमा करानी होगी।
विधि समिति का विचार है कि सेल्फ जेनरेटेड आईटीसी व जीएसटीआर-3बी रिटर्न में दायर आईटीसी में बहुत अंतर मिलने पर जीएसटी में पंजीकृत व्यक्ति को इसके बारे में बताना होगा या अतिरिक्त आईटीसी को ब्याज के साथ लौटाना होगा। जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी में घोषित टैक्स देनदारी में अंतर 25 लाख रुपये या 20 फीसदी की तय सीमा से अधिक है, वहां कारोबारियों को इसकी वजह बताने या शेष कर को जमा कराने के लिए कहा जाएगा। जीएसटी परिषद की 11 जुलाई को होने वाली 50वीं बैठक में समिति की सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
ओएनडीसी : जारी होगा स्पष्टीकरण
जीएसटी परिषद ओएनडीसी के जरिये ई-कॉमर्स कारोबार करने वाले आपूर्तिकर्ताओं पर स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) की देनदारी पर स्पष्टीकरण जारी करेगी। ऐसे आपूर्तिकर्ताओं पर परिषद स्पष्टीकरण जारी करेगी, जहां एक लेनदेन में कई परिचालक शामिल हैं।
फर्जी चालान पर लगाम लगाने का है उद्देश्य
पंजीकृत व्यक्ति को जीएसटीआर-1 का मासिक विवरण भरने की अनुमति तब तक नहीं दी जानी चाहिए, जब तक उसने अधिकारी को गड़बड़ियों के बारे में संतुष्ट न कर दिया हो या अतिरिक्त आईटीसी दावे को लौटा न दिया हो। इसका उद्देश्य फर्जी चालान पर अंकुश लगाना है। वस्तुओं-सेवाओं की सही आपूर्ति के बिना आईटीसी का लाभ उठाने को इसका इस्तेमाल होता है।