विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक महामारी ने न केवल तपेदिक के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल को बाधित किया, बल्कि इसने दुनियाभर में हाशिये पर रहने वाले लोगों के लिए सामाजिक व आर्थिक अवसरों में भी कमी लाई। इन कारणों से तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है।
कोरोना महामारी का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस के 2020 में फैलने से पहले दुनियाभर में किसी भी अन्य संक्रामक बीमारी की तुलना में तपेदिक (टीबी) से सबसे अधिक लोगों की मौत होती थी, लेकिन अमेरिका और विश्व स्तर पर जन स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए उठाए गए कदमों के कारण, दशकों से तपेदिक के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी। हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान जांच और निदान प्रभावित होने से तपेदिक के मामले फिर बढ़ने लगे हैं।कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी स्थित माइकोबैक्टीरिया रिसर्च लेबोरेटरीज के एसोसिएट फैकल्टी कार्लोस फ्रेंको-पेरेडेस कहते हैं, वैश्विक महामारी के दौरान पहली बार ऐसा लगा था कि ‘फ्लू’ जैसी कई अन्य सामान्य बीमारियों की तरह ही कोविड-19 की रोकथाम से जुड़े प्रयासों के जरिए तपेदिक के मामलों में भी कमी आई है। लेकिन तपेदिक के मामले फिर से वैश्विक महामारी से पहले के समान हो गए हैं। पिछले कई दशकों में पहली बार वैश्विक स्तर पर टीबी के मामलों और इससे होने वाली मौत के आंकड़ों में वृद्धि देखी गई है।उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी ने न केवल तपेदिक के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल को बाधित किया, बल्कि इसने दुनियाभर में हाशिये पर रहने वाले लोगों के लिए सामाजिक व आर्थिक अवसरों में भी कमी लाई। इन कारणों से तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है।
2020 में सामने आए थे सबसे कम मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया में तपेदिक से संक्रमित मरीजों की कुल अनुमानित संख्या में वर्षों से गिरावट दर्ज की जा रही थी। सबसे कम एक करोड़ एक लाख मामले वर्ष 2020 में सामने आए थे। 2021 में इसके मामलों में मामूली बढ़ोतरी देखी गई, जब एक करोड़ पांच लाख मामले सामने आए। एक दशक से अधिक समय बाद पहली बार इसके मामलों में वृद्धि दर्ज की गई थी। दुनियाभर में तपेदिक से मौत के आंकड़ों में भी ऐसा ही बदलाव देखा गया। 2019 में सबसे कम अनुमानित 14 लाख लोगों ने तपेदिक के कारण दम तोड़ा। 2020 में मौत का आंकड़ा बढ़कर 15 लाख और 2021 में 16 लाख हो गया।