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अरब सागर में कम दबाव के क्षेत्र की वजह से अब तक केरल नहीं पहुंच सका मानसून, IMD ने नहीं बताई नई तारीख

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आईएमडी ने कहा कि दक्षिण अरब सागर में समुद्र की औसत सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर पछुआ हवा बनी हुई है, लेकिन दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में हवा के चक्रवाती बहाव के कारण बादलों का घनत्व बढ़ रहा है। इससे पिछले 24 घंटों में केरल के तट की ओर बादलों में कमी आई है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल चार जून को मानूसन के केरल पहुंचने का अनुमान जताया था, लेकिन सोमवार को बताया है कि अरब सागर में एक कम दबाव का क्षेत्र बन गया है, जो अब उत्तर दिशा में बढ़ेगा। इसका गंभीर असर मानसून के केरल के तट की ओर बढ़ने पर होगा। हालांकि, विभाग ने मानसून के यहां पहुंचने की कोई नई संभावित तारीख नहीं दी है।

विभाग ने कहा, दक्षिण अरब सागर में समुद्र की औसत सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर पछुआ हवा बनी हुई है, लेकिन दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में हवा के चक्रवाती बहाव के कारण बादलों का घनत्व बढ़ रहा है। इससे पिछले 24 घंटों में केरल के तट की ओर बादलों में कमी आई है। अगले 48 घंटे में अरब सागर के दक्षिण-पूर्वी व पूर्वी-मध्य हिस्से में डिप्रेशन पैदा होगा। इनसे केरल तक मानसून पहुंचने में गंभीर असर पड़ने की आशंका विभाग ने जताई है।

सामान्य तौर पर एक जून को आता है मानसून
भारत की मुख्य भूमि पर मानसून सबसे पहले केरल पहुंचता है। पारंपरिक तौर पर इसके लिए एक जून की तारीख मौसम विभाग ने तय कर रखी है। इस तारीख से सात दिन पहले या सात दिन देरी से मानसून अमूमन आ ही जाता है।

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