यूपी के आयुष कॉलेजों में हुए फर्जी दाखिलों और घूसखोरी के आरोपों की जांच अब सीबीआई करेगी। अभी तक एसटीएफ मामले की जांच कर रही थी। 2019 में आयुष कॉलेजों में यूजी-पीजी में दाखिले के लिए तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी सहित अन्य आला अफसरों पर घूस लेने का आरोप है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के आयुष कॉलेजों में हुए फर्जी दाखिलों और घूसखोरी के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। अभी मामले की विवेचना एसटीएफ कर रही है। कोर्ट ने साथ ही आरोपी आयुर्वेद कॉलेज संचालिका डॉ. रितु गर्ग की जमानत भी मंजूर कर दी है।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने रितु गर्ग की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। कोर्ट ने पाया कि याची के खिलाफ विवेचना में ऐसे कोई सबूत नहीं पाए गए, जिससे लगे कि याची ने आयुष कॉलेज में फर्जी दाखिले के लिए नीट पीजी 2021-22 के नतीजों में गड़बड़ी की हो। वहीं, सुनवाई के दौरान विवेचनाधिकारी ने आयुर्वेद निदेशालय के ऑफिसर इंजार्च डॉ. उमाकांत सिंह का बयान पढ़ा। इसमें 2019 में आयुष कॉलेजों में यूजी-पीजी में दाखिले के लिए तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी सहित अन्य आला अफसरों पर घूस लेने का आरोप है। आरोप है कि मंत्री ने अपने बंगले पर एक करोड़ पांच लाख रुपये लिए। त्रिवेदी ने भी 25 लाख लिए थे। घूस के पैसों की बंदरबांट निदेशक से लेकर सचिव व सेक्शन अफसर तक हुई। छात्रों को सीट आवंटन के नाम पर कॉलेजों से बड़ी राशि लिए जाने के भी आरोप हैं। इस पर न्यायालय ने मामले को गंभीर बताते हुए इसकी जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। साथ ही केस को एक अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश देकर उसी दिन सीबीआई को हलफनामे पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
सीबीआई के निदेशक को सौंपें केस डायरी
कोर्ट ने कहा, चूंकि बयान में सरकार के वरिष्ठ अफसरों समेत पूर्व मंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, लिहाजा बयान की शुचिता की गहन जांच जरूरी है। कोर्ट ने एसटीएफ के पुलिस उप अधीक्षक को आदेश दिया कि केस डायरी समेत सभी जरूरी दस्तावेज सीबीआई के निदेशक को सौंप दें। कोर्ट ने आदेश की प्रति सीबीआई निदेशक व प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव-गृह को तत्काल अनुपालन को भेजने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा, चूंकि बयान में सरकार के वरिष्ठ अफसरों समेत पूर्व मंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, लिहाजा बयान की शुचिता की गहन जांच जरूरी है। कोर्ट ने एसटीएफ के पुलिस उप अधीक्षक को आदेश दिया कि केस डायरी समेत सभी जरूरी दस्तावेज सीबीआई के निदेशक को सौंप दें। कोर्ट ने आदेश की प्रति सीबीआई निदेशक व प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव-गृह को तत्काल अनुपालन को भेजने का आदेश दिया।