पाकिस्तान की जेल में साढ़े तीन साल की सजा पूरी कर खंडवा का राजू पिंडारे बुधवार देर रात अपने घर लौटा। उसे पाकिस्तान की जेल से 14 फरवरी को रिहा किया गया। कानूनी प्रकिया पूरी करने में एक सप्ताह लग गया। मंगलवार देर रात ट्रेन से खंडवा पहुंचा, यहां पुलिस ने मेडिकल कराया, उसके बाद उसे परिजन के सुपुर्द कर दिया। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने राजू का भव्य स्वागत किया। लोगों ने उसे घोड़े पर बैठाया। परिवार के लोगों को देखते ही राजू के आंसू छलक पड़े। मां गले से लगाकर रोने लगी। पिता दोनों के आंसू पोंछने लगे।
राजू ने जेल में रहने दौरान हुए प्रताड़ना की कहानी परिजन को सुनाई। उसे सबकुछ ठीक से तो याद नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी आर्मी के टाॅर्चर को वो नहीं भूल पाया है। कभी पूरी तो कभी अधूरी घटनाएं सुना रहा है। कभी सोकर उठते ही आसपास के लोगों को आश्चर्य से देखने लगता है। दर्द और प्रताड़ना की आधी-अधूरी कहानी सुनकर ही परिवार वालों के दिल दहल जा रहा है।
राजू पिंडारे की जुबानी, पाक जेल में हुए जुल्म की कहानी…
वो पहला दिन था आर्मी कैंप में। सुबह लोकल पुलिस ने मुझे आर्मी को सौंपा। दोपहर में कैंप में पहुंचा। वहां जाते ही आर्मी का एक ऑफिसर मेरे पास आया। बिना कुछ पूछे ही मेरी गर्दन पर हाथ लगाकर जमीन पर पटक दिया। मैं इतना तेज गिरा कि नाक से खून बहने लगा। उसने मेरे बाल पकड़कर उठाया और बोला- बता किस मकसद से आया है। मैं समझ ही नहीं पाया। आर्मी कैंप में सभी मुझे जासूस नाम से जानने लगे थे। आर्मी वाले कहते थे कि तू यहां आ गया है, सबकुछ बोल देगा। यहां अच्छे-अच्छों की जुबान खुल जाती है। आर्मी कैंप में मेरी इतनी पिटाई की गई कि मुझे कई-कई दिनों तक होश नहीं रहता था।
दिन है या रात समझ में नहीं आता। जब होश आता, तो बंद कमरे में खुद को पाता। जब आर्मी वालों को कुछ पूछना हो तो मुझे घसीटकर एक हॉल में लेकर जाते थे, वहां लाठी-डंडों से पीटना शुरू कर देते। जहां जख्म अधिक होता, वहां बार-बार डंडे से मारकर पूछताछ करते थे। दो से तीन महीने तक इस कैंप में मुझे रखा। चलना-फिरना तो दूर मैं लेटकर सरक भी नहीं पाता था। वो मुझे गर्म पानी के ड्रम में डुबोते और तुरंत निकालकर ठंडे पानी के ड्रम में डाल देते थे। कई बार तो ऐसा लगा कि अब जिंदा नहीं बचूंगा। कुछ दिनों बाद तो दर्द में जीने की जैसे आदत हो गई थी।
मुझे ऐसा लगने लगा कि आर्मी वाले आएंगे और आधे से एक घंटे तक मेरी पिटाई करेंगे, फिर लौट जाएंगे। यह क्रम तब तक चलता रहा, जब तक आर्मी कैंप में रहा। भूख-प्यास से तड़पाया और बर्फ पर लिटाकर पीटते थे। वहां की सेना और पुलिस ने खूब जुल्म किए। उन्होंने अपने स्तर से भी मेरे बारे में पता किया, उन्हें मालूम हुआ कि मैं यहां भूलवश आया हूं। इसके बाद उन्होंने मुझे जेल भेज दिया। पाकिस्तान आर्मी मुझे राजस्थान का रहने वाला समझ रही थी। मुझे कहा जा रहा था कि तुम जासूसी करने आए हो, ऐसा बोल दोगे तो छोड़ दिया जाएगा। कई बार मुझसे ऐसी-ऐसी बातें पूछते थे, जिसके बारे में मैंने कभी सुना ही नहीं।
मैं हमेशा यही कहता था कि मैं गलती से इस पार आ गया हूं, लेकिन कोई भरोसा नहीं करता था। चार दिन बाद यानी 3 अगस्त को भारतीय एजेंसियों से माध्यम से वहां पता चला कि मैं खंडवा जिले के इंधावड़ी गांव का रहने वाला हूं। जेल में मुझे खाने के लिए दाल-रोटी के अलावा नानवेज देते थे। नानवेज में हमेशा गोश्त परोसा जाता था। सुबह, दोपहर और शाम तीन समय खाना मिलता था, लेकिन शर्त ये थी कि पहले पाकिस्तान के कैदियों को खाना बांटते थे। फिर जो कुछ भी बचता था, भारतीय कैदियों को दिया जाता था।
जेल के अंदर बाहरी कैदियों से भेदभाव किया जाता था। सुबह नहाने से लेकर खाना खाने तक पहले पाकिस्तानी कैदियों को प्राथमिकता देते थे। बाद में मुझे जेल में ही मूंगा-मोती की माला बनाना सिखाया गया। फिर यही काम रोज करने को मिलता था। डेरा गाजी खान के जेल में मेरे साथ 16 और भी भारतीय कैदी थे। सजा पूरी होने पर मुझे तो छोड़ दिया, लेकिन वो लोग अभी भी सजा काट रहे हैं। मुझे अपने घर लौटने की खुशी है, लेकिन उन लोगों के साथ इतने दिन रहा, अब सबकी याद आ रही है। जेल में बंद 16 कैदियों को जब पता चला कि मैं रिहा होने वाला हूं तो सभी खुश थे। उनमें से ज्यादातर राजस्थान के रहने वाले हैं।
ट्रक में बैठकर पाक बाॅर्डर पहुंचा था राजू
राजू के भाई ने बताया कि 30 जुलाई 2019 को आलू-टमाटर से भरे ट़्रक में बैठकर राजू राजस्थान बॉर्डर पर पहुंच गया था। पाकिस्तान की सीमा में वो कैसे पहुंचा, यह ठीक से याद नहीं है। उसने बस इतना बताया कि जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो पता चला कि वो पाकिस्तान पहुंच गया है। वो गाजी खान डेरा जिला था। राजू इधर-उधर घूम रहा था, तभी कुछ पुलिसवाले उसके पास आए। राजू से पूछताछ की तो उन्हें बताया कि मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का रहने वाला है। यह सुनते ही पुलिसवालों ने राजू को पकड़ लिया और थाने लेकर चले गए। पूछने लगे कि तुम किसलिए यहां आए हो। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। दो-चार दिन थाने में ही रखा फिर आर्मी वालों के हवाले कर दिया गया।
17 फरवरी को मिली थी खुशखबरी
राजू के छोटे भाई दिलीप ने बताया कि राजू आसपास के गांवों में घूमता रहता था। कई बार हफ्ते-हफ्ते तक घर नहीं आता था। आने के बाद फिर गायब हो जाता था। पहले भी उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। 2019 में गायब हुआ तो महीनों तक नहीं लौटा। इसके बाद हमलोगों ने उसकी खोज शुरू की। वह पाकिस्तान पहुंच जाएगा सोचा भी नहीं था। 17 फरवरी 2023 को खंडवा पुलिस ने परिवार को सूचना दी। कहा कि आपका बेटा लौट आया है, उसे लेने पंजाब जाना होगा। गाड़ी की व्यवस्था कर लीजिएगा। फिर हम लोगों ने कलेक्टर-एसपी से वाहन व्यवस्था करने की गुहार लगाई।
राजू को ढूंढने परिवार ने बैंक से 80 हजार का कर्ज लिया
2019 से ही राजू के बूढ़े मां-बाप लगातार पुलिस, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट रहे थे। राजू के माता-पिता ने बताया कि मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने से राजू अक्सर कहीं भी चला जाता था, लेकिन महीने 15 दिन में लौट भी आता था। पांच साल पहले गया तो एक-दो महीने इंतजार के बाद तलाश शुरू की। बैंक से 80 हजार रुपए का कर्ज लेकर कई जगह ढूंढा, लेकिन नहीं मिला। इस बीच एक दिन दो पुलिस जवान घर आए और राजू का फोटो दिखाकर पूछताछ की।
उन्होंने बताया कि राजू अब पाकिस्तान पहुंच गया है। पाकिस्तान से संबंधों को देखते हुए लगा अब राजू को जिंदा देख पाएंगे या नहीं। राजू की घर वापसी के लिए इंधावड़ी के देवेंद्र सिंह सोलंकी ने तत्कालीन सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, खरगोन सांसद गजेंद्र सिंह पटेल व मांधाता विधायक नारायण पटेल (तब कांग्रेस में थे) से निवेदन कर राजू को लौटाने का आग्रह किया था, लेकिन इन सब से कुछ नहीं हो सका।
पुनासा एसडीएम चंदर सिंह सोलंकी ने बताया 16 फरवरी को सूचना प्राप्त होते ही पटवारी, कोटवार व स्थानीय जनप्रतिनिधि को राजू के माता-पिता के पास भेजा और उसे लाने की प्रक्रिया शुरू की। राजू के आने पर हम उससे जरूर मिलेंगे। राजू की तलाश में परिजन ने बैंक से कर्ज लिया है। इसकी अदायगी में क्या छूट मिल सकती है, इसके लिए बात करेंगे। राजू को दिव्यांग पेंशन व अन्य सुविधा दिलाने का प्रयास करेंगे।
एचआईवी समेत ईसीजी, बीपी, शुगर की जांच कराई
खंडवा पुलिस के विवेचना अधिकारी ASI महेश श्रीवास्तव ने बताया कि राजू को उसके परिजन के सुपुर्द करने से पहले सुबह 10 बजे मेडिकल टेस्ट कराया गया। इस टेस्ट में ब्लड प्रेशर, शुगर, ईसीजी के साथ मुख्य रूप से एचआईवी की जांच की गई है। एचआईवी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अभी कुछ रिपोर्ट आना बाकी है। डॉक्टरों ने वैसे तो राजू को पूरी तरह स्वस्थ बताया है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतते हुए सभी जांच कराई गई है।
कलेक्टर, एसपी और विधायकों ने की मुलाकात
राजू मंगलवार देर रात खंडवा पहुंचा, तब रेलवे स्टेशन पर क्षेत्रीय विधायक नारायण पटेल के पुत्र दीपक पटेल ने माला पहनाई। इसके बाद सुबह 9 बजे भाजपा जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल, मांधाता विधायक नारायण पटेल, पंधाना विधायक राम दांगोरे, कलेक्टर अनूपसिंह, एसपी विवेकसिंह आदि ने राजू से मुलाकात की। विधायक पटेल ने अपने गृह निवास पर भी राजू को ठहराया। गांव में स्थानीय अफसरों ने भी मुलाकात की। सभी ने राजू के स्वदेश वापसी पर स्वागत किया।
जासूसी के शक में 3.5 साल पाकिस्तान में काटी सजा
मध्यप्रदेश के खंडवा का युवक पांच साल पहले पाकिस्तान पहुंच गया। पाक पुलिस ने उसे जासूसी के आरोप में पकड़ा। इंटेलिजेंस को सौंप दिया। पाकिस्तान की मीडिया ने उसे जासूस करार दे दिया। फिर क्या था, वहां की सरकार ने जासूस साबित करने के लिए साक्ष्य जुटाना शुरू कर दिए। आखिरकार, पाक सरकार ने जासूस की संदेह में गिरफ्तार राजू पर अवैधानिक तरीके से बॉर्डर पार करने का मुकदमा चलाया।