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ऋचा सिंह सपा से निष्कासित:बोलीं-मुझसे कहा गया था कि मैं स्वामी प्रसाद का विरोध न करूं, नहीं मानी तो बिना नोटिस, बिना सुनवाई निकाल दिया

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समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व सपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं ऋचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। सपा के टिकट पर इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से दो बार विधायिकी लड़ीं ऋचा सिंह ने रामायण पर सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की तीखी आलोचना की थी। सवाल खड़े किए थे। इससे नाराज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ऋचा सिंह के खिलाफ यह कार्रवाई की है। निष्कासन के बाद ऋचा सिंह ने सपा की कार्यशैली और विचारधारा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। बोलीं-मुझसे कहा गया था कि मैं स्वामी प्रसाद का विरोध न करूं, नहीं मानी तो बिना नोटिस, बिना सुनवाई निकाल दिया।

ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पहली महिला अध्यक्ष रही हैं।
ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पहली महिला अध्यक्ष रही हैं।
निष्कासन के बाद ऋचा ने कहा-बहुत निष्कासन झेला है, अब महिषासुर का वध होगा

ऋचा सिंह के निष्कासन का फैसला समाजवादी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर सुनाया। इसके बाद ऋचा सिंह ने ट्वीटकर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। कहा-‘मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष होने के बाद से ही लगातार निष्कासन का सामना कर रही हूं। यह निष्कासन कोई नया नहीं है। जब जब गलत का विरोध किया निष्कासन को झेला है, पर महिषासुरों के खिलाफ डटकर खड़ी रही इस बार फिर महिषासुर वध होगा।

भगवान राम भारत की आत्मा हैं

ऋचा ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है। ऋचा ने लिखा-संविधान के भाग तीन में जिसमें हमारे मौलिक अधिकारों का वर्णन है (फंडामेंटल राइट), उस पृष्ठ की शुरुआत भगवान राम लक्ष्मण और भगवती सीता के चित्र से होती है । राम भारत की आत्मा हैं । यहां तक कि अल्लामा इक़बाल ने उनको इमामे हिंद माना है । ऐसे में भारत की आध्यात्मिक एवं संवैधानिक आत्मा के साथ मैं खड़ी थी और खड़ी रहूंगी । अगर भगवन राम का अपमान कर अखिलेश अगर अपनी राजनीती करना चाहते हैं तो मैं इस संबंध में मैं उन्हें याद दिला दूं कि महंत राजू दास जिनका विवावद स्वामी प्रसाद मौर्या से है वो पंडित या ठाकुर न होकर यादव समाज से आते हैं ।

मुझसे कहा गया था कि मैं स्वामी प्रसाद का विरोध न करूं

अखिलेश यादव का एक्शन प्राकृतिक न्याय (natural justice) विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है। मुझसे कहा गया निथा कि मैं स्वामी प्रसाद मौर्य के वक्तव्य का विरोध छोड़ दूं । मैंने इंकार कर दिया । इसीलिए मुझे बिना नोटिस और बिना कारण बताए निकाला गया है। प्राकृतिक न्याय कहता है की किसे के खिलाफ करवाई करने से पहले उसको कारण बताओ नोटिस जारी कर के उससे स्पष्टीकरण और उसका पक्ष जाना जाय। अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया। साथ ही साथ निष्कासन का कोई कारण भी नहीं बताया। शायद कोई कारण है भी नहीं। अखिलेश कारण बताने की स्थिति में नहीं हैं वरना मुझे बताया जाये कि अगर राम चरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध के अतिरिक्त मैंने पार्टी के हितों के विरुद्ध कभी भी कुछ किया हो।

महिला विरोधी है अखिलेश की मानसिकता

जो पार्टी प्रकिर्तिक न्याय (natural justice) नहीं मानती वो समाजिक न्याय क्या मानेगी? अगर आज रामायण मेला की परिकल्पना करने वाले और भगवान राम को आदर्श मानने वाले डॉ. लोहिया जिंदा होते तो उन्हें भी समाज विरोधी पार्टी मतलब समाजवादी पार्टी निकाल देती। मुझसे ज़्यादा स्वामी प्रसाद पर हमला समाजवादी पार्टी के कई पुरुष नेताओं ने भी किया है परंतु उन्हें निकाल कर पार्टी अपनी विधायक संख्या घटाना नहीं चाहती। वो पुरुष हैं इसलिए भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया। महिलाओं पे एकतरफा करवाई कर के पार्टी ने अपनी महिला विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। विनाश काले, विपरीत बुद्धि. जब काल मनुष्य पे छाता है तो पहले विवेक मर जाता है।

ऋचा के कुछ हालिया ट्वीट

3 फरवरी : समाजवाद के ध्वजवाहक डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि महिलाओं की कोई “जाति” नहीं होती। महिलाएं वंचित समाज से सरोकार रखती हैं। परंतु वर्तमान में समाजवादी पार्टी में महिलाओं की “जाति” देखकर उन पर अपशब्द बोलने का ट्रेंड लोहिया जी का समाजवाद तो नहीं हो सकता।

 

 

 

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