राजस्थान के 33 में से 12 जिलों पर खासा प्रभाव रखने वाले गुर्जर वोटरों को साधने की कोशिश में BJP लग गई है। सचिन पायलट को CM नहीं बनाने से गुर्जर वोटर नाराज हैं। ऐसे में BJP इतने बड़े वोट बैंक को अपनी ओर डायवर्ट करेगी। इससे PM नरेंद्र मोदी के दौरे को जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री कल यानी शनिवार को भीलवाड़ा आएंगे। यहां भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव में हिस्सा लेंगे। देश के 9 राज्यों (राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, कश्मीर व हिमाचल प्रदेश ) में बसने वाले गुर्जर समुदाय का ये सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है। कहा जा रहा है कि मोदी उज्जैन की तर्ज पर देवनारायण कॉरिडोर की घोषणा कर गुर्जरों का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। जाहिर है, इसका लाभ BJP को आने वाले चुनावों में मिलेगा।
गुर्जरों पर पायलट फैक्टर प्रभावी
गुर्जर वोटरों का सचिन पायलट की ओर झुकाव पिछले चुनाव में साफ देखा गया था। पिछले चुनाव में पायलट की मुख्यमंत्री पद पर दमदार दावेदारी थी। इसी का नतीजा था कि BJP ने 9 गुर्जर नेताओं को टिकट दिए थे, पर इसमें से कोई नहीं जीता था। कांग्रेस ने 12 गुर्जर नेताओं को टिकट दिए थे। इसमें से 8 ने जीत दर्ज की थी।
BJP ने ली सीख
पिछले चुनावों के परिणाम ने ये साफ कर दिया था कि सचिन फैक्टर कितना प्रभावशाली है। यही वजह है कि इस बार बीजेपी कोई चांस नहीं लेना चाहती। गुर्जर वोटरों को जोड़ने के प्रयास में पार्टी जुट गई है। सचिन को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना, बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा है। इसी का प्रचार कर बीजेपी के नेता गुर्जर वोटर्स को अपने पक्ष में करने की तैयारी कर रहे हैं। जाहिर है इसमें वो वोटर्स भी साथ आएंगे, जो गहलोत के विरोधी हैं। इसी नाराजगी का लाभ बीजेपी लेने की तैयारी में है।
BJP के टिकट से ये गुर्जर नेता हारे थे
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कोटा साउथ से प्रहलाद गुंजल, मांडल से कालूलाल गुर्जर, डीग से जवाहर सिंह, नगर सीट से अनिता सिंह, गंगापुर सीट से मानसिंह, देवली उनियारा सीट से राजेंद्र गुर्जर, खेतड़ी से दाताराम गुर्जर व बाड़ी से जसवंतसिंह को टिकट दिया गया था। यह सभी उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा था।
देवनारायण लोक कॉरिडोर कैसा बनेगा, इसको लेकर भी लोगों में जिज्ञासा बढ़ चुकी है। मालासेरी डूंगरी में भगवान देवनारायण के जीवन से जुड़ी कहानियों पर पेनोरमा पहले से बना हुआ है। कॉरिडोर में भगवान देवनारायण के जन्म से लेकर उनकी सभी कहानियों पर फोकस किया जा रहा है। खास बात ये है कि इन सभी का आइडिया देश की सबसे लंबी भगवान देवनारायण की फड़ से लिया जाएगा।
इसको लेकर दो दिन पहले ही केंद्र सरकार की रिसर्च टीम भीलवाड़ा पहुंच गई है और टीम ने आसींद में रिसर्च करना भी शुरू कर दिया है। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने रिसर्च टीम को भगवान देवनारायण के जीवन व आसींद में उनकी कहानियों, साहित्य व व्याख्यान को जानने के बारे में कहा है।
पीएम मोदी को फड़ से बताएंगे भगवान देवनारायण के कहानी-किस्से
इस कॉरिडोर की थीम को लेकर रिसर्च टीम ने भीलवाड़ा के जाने माने फड़ चित्रकार कल्याण जोशी को भी मालासेरी बुलाया गया है। साथ ही भगवान देवनारायण की फड़ को पूरी समझाने के लिए कहा गया है। फड़ चित्रकार कल्याण जोशी ने बताया कि भगवान देवनारायण की फड में उनके जीवन के जुड़े हुए 40 परवाडे (एपिसोड) है।
इसमें करीब 2 हजार से ज्यादा चित्र हैं। इस फड को दो भागों में बांटा गया है। पहली फड में भगवान देवनारायण के पूर्वज 24 बगड़ावतों की कहानी है। वहीं दूसरी फड में भगवान देवनारायण से जुड़ी हुई कहानियां है। 28 जनवरी को जब पीएम मोदी मालासेरी आएंगे, तब कल्याण जोशी इस फड के बारे में बताएंगे।
कॉरिडोर में भगवान की कहानियों को दी जाएगी प्राथमिकता
पीएम मोदी द्वारा देवनारायण लोक की घोषणा के बाद ही पता चलेगा कि इसका मूल स्वरूप कैसा होगा। रिसर्च टीम द्वारा सबसे ज्यादा भगवान देवनारायण के जीवन की जुड़ी हुई कथाओं को ही इसमें प्राथमिकता दी जाएगी।
दरअसल, भगवान देवनारायण की फड़ को दो भागों में बाट रखा है। इनमें इनके पिता सवाई भोज भी शामिल हैं। वहीं दूसरे भाग की फड़ में भगवान देवनारायण के जीवन का चित्रण है। और, इन्हीं की कथाएं राजस्थान में ज्यादा प्रचलित है। भगवान देवनारायण की फड़ भारत की सबसे बड़ी फड़ है। इसी फड़ से देवनारायण लोक की थीम लेने की भी उम्मीद है। बताया जा रहा है राजस्थान में प्रचलित इन्हीं कथाओं पर प्रतिमाएं बनाई जाएगी। पीएम मोदी द्वारा देवनारायण लोक कॉरिडोर की घोषणा होने के बाद यह राजस्थान का सबसे बड़ा कॉरिडोर भी बन सकता है। इस कॉरिडोर के लिए मंदिर ट्रस्ट के पास काफी जमीन है। अभी मालासेरी डूंगरी मंदिर ट्रस्ट के पास करीब 270 बीघा जमीन है।
क्यों खास है मालासेरी डूंगरी
मालासेरी डूंगरी आसींद उपखंड से 5 किलोमीटर दूर है। बताया जाता है कि 1111 साल पहले भगवान देवनारायण की माता साडू ने यहां पर तपस्या की थी। इससे खुश होकर भगवान विष्णु ने स्वयं संवत 968 माध माह की सप्तमी को जन्म दिया था। भगवान देवनारायण का जन्म मालासेरी डूंगरी की सबसे ऊपरी चोटी पर जमीन फटकर अंदर से निकले कमल के फूल की नाभि में हुआ था। इसी लिए यह मंदिर गुर्जर समाज का एक मात्र आस्था का स्थल है।
क्या होती है फड़
कहानी को चित्र के माध्यम से गाकर सुनने की परंपरा को फड़ चित्रकारिता कहते हैं। यह लोक देवता देवनारायण और पाबूजी महाराज के जीवन पर आधारित है। इनमें उनके जीवन के बारे में बताया जाता है। देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता। ये गुर्जरों के आराध्य देव हैं। पाबू जी महाराज जोधपुर रियासत लोक देवता हैं। इसी शैली में भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं को उकेरा गया है। मान्यताओं के अनुसार राजस्थान की फड़ चित्रकला 700 साल पुरानी है। कहते हैं कि मध्ययुगीन लोक देवता देवनारायण के भक्त चोचू भाट ने सबसे पहले उनकी फड़ पेंटिंग बनाई।
मोटे कपड़े का होता है फड़ में उपयोग
परम्परागत रूप से फड़ चित्रण के लिए हाथ से बुना मोटा कपड़ा, जिसे रेजा या रेजी भी कहा जाता था। प्रयुक्त किया जाता था। आजकल मिल का बुना पतला सूती कपड़ा, कोसा एवं सिल्क का कपड़ा भी प्रयोग में लाया जाने लगा है। सबसे पहले फड़ का आधार तैयार किया जाता है। इसके लिए कपड़े को वांछित माप में काट लिया जाता है।