उत्तराखंड का जोशीमठ में जमीन धंस रही है। वहां हालात गंभीर बनी हुई है। सोमवार को केंद्र की एक टीम यहां पहुंची और हालात का जायजा लिया। अब मंगलवार को गृह मंत्रालय की एक टीम जोशीमठ जाएगी और वहां लैंडस्लाइड से हुई नुकसान का जायजा लेगी। इसी बीच जिला प्रशासन ने बताया कि जिन मकानों को डेंजर जोन में रखा गया है उसे गिराने का काम आज से शुरू किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, घरों को गिराने का काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्ज इंस्टीट्यूट (CBRI) की निगरानी में होगा।
बता दें कि राज्य सरकार ने जोशीमठ को तीन जोन में बांटने का फैसला किया है। ये जोन होंगे- डेंजर, बफर और सेफ जोन। जोन के आधार पर शहर के मकानों को चिह्नित किया जाएगा। डेंजर जोन में ऐसे मकान होंगे जो ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं। ऐसे मकानों को मैन्युअली गिराया जाएगा, जबकि सेफ जोन में वैसे घर होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और जिसके टूटने की आशंका बेहद कम है।
वहीं, बफर जोन में वो मकान होंगे, जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है। बता दें कि एक्सपर्ट्स की एक टीम दरार वाले मकानों को गिराने की सिफारिश कर चुकी है।
लैंडस्लाइड से हमारा कोई लेना देना नहीं- NTPC
राज्य की पावर प्रोड्यूसर कंपनी NTPC ने कहा है कि तपोवन विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट का जोशीमठ में हो रहे लैंडस्लाइड से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि जोशीमठ लैंडस्लाइड के लिए NTPC के एक हाइड्रो प्रोजेक्ट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि NTPC के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरंग खोदी गई, जिस वजह से शहर धंस रहा है। हालांकि NTPC ने इन सब बातों को खारिज कर दिया है।
उत्तराखंड के CM और NDMA की बैठक की 4 बड़ी बातें
- 3 चरणों में पूरी होगी विस्थापन की प्रक्रिया
- 478 घर और 2 होटल चिह्नित किए गए
- असुरक्षित बहुमंजिला होटल मैकेनिकल तरीके से गिराए जाएंगे।
- 81 परिवारों को अब तक विस्थापित किया गया।
जोशीमठ के मकानों पर रेड क्रॉस
जोशीमठ के सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग एरिया डेंजर जोन में हैं। यहां के मकानों पर रेड क्रॉस लगाए गए हैं। प्रशासन ने इन मकानों को रहने लायक नहीं बताया है। चमोली DM हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ और आसपास के इलाकों में कंस्ट्रक्शन बैन कर दिया गया है।
यहां 603 घरों में दरारें आई हैं। ज्यादातर लोग डर के चलते घर के बाहर ही रह रहे हैं। किराएदार भी लैंड स्लाइड के डर से घर छोड़कर चले गए हैं। अभी तक 70 परिवारों को वहां से हटाया गया है। बाकियों को हटाने का काम चल रहा है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे रिलीफ कैंप में चले जाएं।