मध्यप्रदेश की रातों के साथ अब दिन भी सर्द हो गए हैं। ज्यादातर शहरों में दिन का तापमान 23 से 24 डिग्री तक पहुंच गया है। रात के पारे में भी गिरावट हुई है। अगले 24 घंटे में ग्वालियर, दतिया समेत 8 जिलों में कोहरा रहेगा। मौसम विभाग ने इसे लेकर यलो अजर्ट जारी किया है।
मौसम वैज्ञानिक नरेंद्र मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में मौसम शुष्क रहेगा। भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर, दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी में कोहरे का असर रहेगा। राजधानी भोपाल में मौसम साफ रहेगा। दिन में 16 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से सर्द हवा चल सकती है। वहीं, दिन में पारा 25 डिग्री के आसपास रहेगा। रात के तापमान में थोड़ी गिरावट हो सकती है।
रातें ठंडी, नौगांव सबसे ठंडा
प्रदेश के शहरों की रातें सर्द है। नौगांव सबसे ठंडा चल रहा है। वहीं, दतिया, रीवा, गुना, खजुराहो, राजगढ़, उमरिया, सतना, रायसेन, दमोह, पचमढ़ी, सागर, सीधी, धार और रतलाम में पारा 10 डिग्री से नीचे चल रहा है। बड़े शहरों की बात करें तो ग्वालियर सबसे ठंडा है। भोपाल, जबलपुर और इंदौर में भी मौसम सर्द है।
इन शहरों में 23 से 25 डिग्री के बीच दिन का पारा
मध्यप्रदेश के कई शहरों में दिन का पारा 23 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। इनमें भोपाल, धार, इंदौर, पचमढ़ी, रायसेन, जबलपुर, नरसिंहपुर, रीवा आदि शहर शामिल हैं।
यह सिस्टम है सक्रिय
जानकारी के अनुसार, दिसंबर के अंत तक प्रदेश के हिस्सों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में निचले और मध्य क्षोभमंडलीय पश्चिमी हवाओं में पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्रों पर विद्यमान है। दक्षिण पश्चिम बंगाल की खाड़ी पर स्थित डिप्रेशन पूर्व-उत्तर की ओर चला गया है।
इसके धीरे-धीरे आगे बढ़ने की संभावना है। यह संभावना है कि उसी क्षेत्र में एक लूप बनाएं। फिर अगले कुछ घंटों के दौरान पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर श्रीलंका में कोमोरिन क्षेत्र की ओर बढ़ें। इंडो-गंगा के मैदानी इलाकों में निचले क्षोभमंडलीय स्तरों पर उच्च नमी और हल्की हवाओं के बने रहने के कारण उत्तर भारत में घना कोहरा हो गया है।
1 जनवरी से तापमान में गिरावट रहेगी
29 दिसंबर को सक्रिय सिस्टम का असर 31 दिसंबर तक रहेगा। इसके बाद दिन और रात के तापमान में गिरावट हो सकती है। इससे प्रदेश भर में ठंड अपना जोर दिखाने लगेगी। अब तक बहुत ज्यादा स्ट्रांग सिस्टम नहीं बनने के कारण ठंड का असर कम रहा है। आने वाले समय में नए सिस्टम बनने की संभावना बनने लगी है।