ईरान में हिजाब के विरोध को दबाने की कोशिश, लॉकडाउन के खिलाफ चीन में सड़कों पर उतरे लोगों का दमन, अमेरिका में ट्रम्प के कारनामे, हंगरी और ब्राजील के चुनाव में सत्ताधारियों के पद न छोड़ने की जिद। इस साल आधी दुनिया में लोकतंत्र खतरे में नजर आया, लेकिन इसकी सबसे बड़ी मिसाल यूक्रेन बना, जो रूस के हमले से तबाह हो गया। अभी जंग जारी है।
इसे दुनिया लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद के तौर पर देख रही है। टाइम को दिए इंटरव्यू में यूक्रेन के प्रेसिडेंट वोल्दोमीर जेलेंस्की ने यह कहते हुए दुनिया को चेताया कि ‘अगर वे हमें खत्म कर देंगे तो तुम्हारे आकाश का चमकता लोकतंत्र भी धुंधला जाएगा।’
रिपोर्ट का दावा भारत में लोकतंत्र कमजोर हुआ
स्टॉकहोम स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड एलेक्टोरल असिस्टेंस (इंटरनेशनल आईडीईए) की वार्षिक रिपोर्ट कहती है- इस साल दुनिया के बड़े और प्रभावशाली लोकतंत्र जैसे भारत, अमेरिका, ब्राजील जैसे देशों में ऐसी घटनाएं हुईं, जिनकी गुंजाइश लोकतंत्र में नहीं होती है। कोस्टा रिका के पूर्व राजनेता और इंटरनेशनल आईडीईए के वर्तमान महासचिव केविन कैसास जमोरा कहते हैं- 104 देशों के राजनीतिक हालातों का अध्ययन करने के बाद तैयार रिपोर्ट के अनुसार, लोकतांत्रिक देशों में रहने वाले लोगों के मूल्यों, उनके सोचने-समझने के तरीके में बदलाव आया है। इन देशों में रहने वाले लोग अब एक ताकतवर नेता चाहते हैं। उन्हें लगता है कि मजबूत नेता तरक्की और अस्मिता दोनों के लिए बेहतर है। जहां 2009 में सिर्फ 38% लोग ज्यादा ताकतवर नेता की चाहत रखते थे।
लोगों को चाहिए ताकतवर नेता
अब दुनिया के 77 लोकतांत्रिक देशों में आधे से ज्यादा यानी 52% लोग चाहते हैं कि उनके देश की बागडोर एक ताकतवर नेता के हाथ में हो। रिपोर्ट के अनुसार, एक दशक पहले लोकतांत्रिक ह्रास 12% था, लेकिन अब यह 50% हो गया है। इन देशों में अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, भारत और ब्रिटेन शामिल हैं। अफगानिस्तान और बेलारूस जैसे गैरलोकतांत्रिक देशों में तो सत्ता और ज्यादा दमनकारी हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, लोकतंत्र की सबसे ज्यादा चाहत रखने वाले अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देशों के लोग इस वक्त खाने की कमी, महंगाई, बिजली की बढ़ती कीमतों और मंदी की मार झेल रहे हैं। लोग लोकतांत्रिक देशों में आई कई परेशानियों के लिए सत्ता को ही जिम्मेदार समझते हैं।
दुनिया में असमानता तेजी से बढ़ रही, चुनाव में भरोसा घटना बन रही वजह
दुनिया के तमाम देशों में लोकतंत्र के कमजोर होने की वजहें लगभग एक जैसी हैं। इन देशों में राजनीतिक ध्रुवीकरण हुआ। इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों का भरोसा कम हुआ। चुनाव में धांधली हुई, जहां ऐसा नहीं हुआ, वहां भी लोगों के मन में यह विश्वास नहीं है कि चुनाव पूरी ईमानदारी से कराए गए हैं। नागरिकों की समानता की बात करने वाले लोकतंत्र में असमानता तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह से लोगों में लोकतंत्र से मोहभंग जैसा दिख रहा है।