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इशारे से बुलाती हैं ग्राहक; तय रेट का 40% ही सेक्स वर्कर को मिलता है

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सुबह 10:30 बजे। चारबाग मेट्रो के नीचे तीन लड़कियां मुंह बांधकर खड़ी हैं। आने-जाने वाले व्यक्ति को रोकती हैं और पूछती हैं, “होटल चलोगे?” ज्यादातर लोग इग्नोर करके आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन कुछ रुक जाते हैं। रेट की बात करने लगते हैं। रेट तय होते ही वह लड़की के पीछे-पीछे चलने लगते हैं।

दैनिक भास्कर की टीम ने लखनऊ में जिस्मफरोशी के धंधे की पड़ताल करने चारबाग पहुंची। ग्राहक बनकर लड़कियों से बात की। रेट पूछे। होटलों के बारे में जाना। दलालों के बारे में पता लगाया। आइए पूरी बातें एक तरफ से बताते हैं।

लड़की को दो बार देखा तो वह पास आ जाएगी
चारबाग में 400 मीटर के अंदर ही बस, मेट्रो और रेलवे स्टेशन है। पूरे इलाके में हमेशा भीड़ रहती है। उन्हीं भीड़ के बीच कुछ लड़कियां पूरा मुंह बांधे एक बैग टांगे खड़ी नजर आती हैं। ये लड़कियां सेक्स वर्कर हैं। ग्राहक की तलाश में इधर-उधर देखती रहती हैं। जिससे नजर मिली उसे कुछ देर देखती हैं। अगर सामने वाला व्यक्ति दो बार या फिर उससे अधिक बार देख रहा तो ये सेक्स वर्कर उनके पास पहुंच जाएंगी। मामले को इंवेस्टिगेट करने पहुंचे दैनिक भास्कर के रिपोर्टर के साथ भी ऐसा ही हुआ।

पुलिस से मत डरो, सब सेट है

इसके बाद हम मेट्रो से 100 मीटर दूर एक गली के सामने खड़े हो गए। 150 मीटर लंबी इस गली में करीब 10 होटल हैं। इन होटलों को भी जिस्मफरोशी के धंधे से जोड़कर देखा जाता है। यहां कुछ देर खड़े रहने के बाद करीब 30 साल की महिला आई। उसके साथ दो और लोग थे। दोनों 20 मीटर दूर जाकर खड़े हो गए। ये दलाल थे। महिला कुछ देर खड़ी रही। मैने आंखों के इशारे से उसे अपने पास बुलाया और बातचीत शुरू की। इस ग्राफिक में देखिए।

सेक्स वर्कर्स के बारे में जानने के बाद हम इनके दलालों और होटलों के बारे में पता करने पहुंचे। जो जानकारी मिली वह चौंकाने वाली थी।

लड़कियां ग्राहक तलाशती हैं, दलाल सुरक्षा देते हैं
सेक्स वर्कर्स ग्राहक तलाशते वक्त अकेली नजर आती हैं। लेकिन उनके आस-पास ही दलाल मौजूद होते हैं। इनकी ग्राहक खोजने में कोई भूमिका नहीं होती। इनका मुख्य काम सुरक्षा देना होता है। लड़की और ग्राहक के बीच किसी तरह के विवाद की स्थिति होती है, तब ये दलाल मारपीट तक उतर आते हैं। इनका अपना एक समूह है। स्थानीय दुकानदार बताता है कि इन लोगों ने कई बार सभ्य लोगों के साथ भी बदतमीजी की है।

इन लड़कियों के साथ होटल जाने पर कोई आईडी नहीं लगती
लखनऊ में सेक्स वर्कर्स की वाराणसी के शिवदासपुर की तरह कोई गली या जगह नहीं है। यहां पूरा खेल होटलों में चलता है। होटल की अपनी सेटिंग होती है। जब ये लड़कियां किसी लड़के को लेकर होटल पहुंचती हैं तो किसी तरह की आईडी की जरूरत नहीं होती। जबकि ऐसा नहीं करने पर धारा-188 के तहत होटल को सीज और होटल मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

60% पैसा दलाल और होटल में चला जाता है

पास के ही होटल में काम करने वाले एक युवक ने हमें इस बारे में कुछ जानकारी दी। उसका कहना है कि ये धंधा लंबे वक्त से चल रहा और कभी भी बंद नहीं हो सकता। क्योंकि इस खेल में कई बड़े दिग्गज शामिल हैं। वो दिग्गज कौन हैं? पूछा तो युवक ने नाम बताने से मना कर दिया। उसने बताया, “सेक्स वर्कर्स अगर किसी ग्राहक को 500 रुपए रेट पर लेकर आती हैं तब 200 रुपए होटल को, 100 रुपए दलाल को चले जाते हैं। 200 रुपए उनके अपने होते हैं। हालांकि, कई बार वह ज्यादा पैसा पा जाती हैं। तब उनका अपना हिस्सा बढ़ जाता है।”

पुलिस का जवाब- यहां इतनी भीड़ है कौन किसे देखे
हम पुलिस चौकी पर पहुंचे तो वहां संतोष कुमार नाम के सिपाही मिले। उनसे यहां हो रही जिस्मफरोशी के बारे में पूछा तो जवाब मिला, “ऐसी तो कोई जानकारी नहीं है। वैसे भी यहां इतनी भीड़ है, इतने सारे लोग आ रहे हैं, किसको-किसको देखें?” हमने उनसे पूछा, क्या इसे रोकने के लिए प्रशासन आगे कोई कार्रवाई कर सकता है? उनका जवाब था, “वो इलाका हमारी चौकी के अंतर्गत नहीं आता। हमारा एरिया बस अड्डे की तरफ का है।”

सेक्स वर्कर्स के जाल में फंसा व्यक्ति पुलिस के पास नहीं जाता
पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती? इस सवाल का जवाब हमें यूपी पुलिस के रिटायर्ड इंस्पेक्टर लालता मिश्र देते हैं। वह कहते हैं, “सेक्स वर्कर्स के जाल में फंसा व्यक्ति पुलिस के पास आता ही नहीं। वह डरता है कि पुलिस कहीं उसी के खिलाफ कार्रवाई न कर दे। ऐसे में जब पुलिस के पास मामला नहीं आता तो कार्रवाई हो ही नहीं पाती। हां, कई बार बड़ी जालसाजी या फिर क्राइम होने पर पुलिस विभाग एक्शन लेता है। चारबाग में भी कई बार छापेमारी की गई है।”

यह वाराणसी के शिवदासपुर का मामला है। यहां रोज झगड़ा होता है। पुलिस के पास कोई शिकायत नहीं जाती।

हमें कहीं और काम नहीं मिलता, इसलिए यही करना पड़ता है
हमें इस सवाल का जवाब लखनऊ में नहीं मिला। वाराणसी के रेड लाइट एरिया शिवदासपुर में मिला। 65 साल की मीना इसी धंधे में हैं। वह कहती हैं, “गरीबी बंद दरवाजे के पीछे कपड़े उतारने पर मजबूर कर देती है। कोई भी इसमें अपने मन से नहीं आता। हमारे जो बच्चे हुए उन्हें पढ़ाया-लिखाया लेकिन कहीं काम नहीं मिला। किसी ने उनसे शादी नहीं की। क्योंकि उनके ऊपर सेक्स वर्कर का बच्चा वाला ठप्पा लग गया है। ऐसे में हमारे बच्चे भी यही करने लगते हैं।”

सेक्स वर्कर्स के बच्चों को इस धंधे से निकाल रहा गुड़िया संस्थान वाराणसी के अजीत सिंह रेड लाइट एरिया में सेक्स वर्कर्स के बच्चों के लिए काम करते हैं। उन्होंने 1993 में गुड़िया नाम से संस्था बनाई। संस्था का काम सेक्स वर्कर्स के बच्चों को पढ़ाना है। अजीत का मकसद है कि बच्चों को इस काबिल बनाया जाए कि वह कोई दूसरा रोजगार ढूंढ लें। जिस्मफरोशी के इस दलदल में खुद न फंसे। अजीत सिंह अब तक करीब 500 दलालों को जेल भिजवा चुके हैं। ये सब करना आसान नहीं था। 24 बार उनके ऊपर जानलेवा हमले हुए। लेकिन वह पीछे नहीं हटे। नतीजा ये रहा कि अमिताभ बच्चन समेत बड़े-बड़े सेलिब्रिटी अजीत की इस पहल की तारीफ करते हैं।

चीन वेश्यावृत्ति के धंधे में सबसे आगे है। भारत में 66 हजार करोड़ रुपए का कारोबार इससे जुड़ा है।

भारत में 2900 साल पहले से वेश्यावृत्ति जारी है। समय-समय पर इसका स्वरूप बदल गया।

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