यमुना के डूब क्षेत्र में बने फार्म हाउसों पर नोएडा प्राधिकरण बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। दो दिनों बाद सेक्टर-150, 160, 168 और 135 बने अवैध फार्म हाउसों को बुलडोजर से ढहाया जाएगा। इसके बाद इसे मास्टर प्लान के अनुरूप बनाया जाएगा।
इतना ही नहीं ध्वस्तीकरण में जो भी खर्चा आएगा, उसकी भरपाई फार्म हाउस संचालकों से से कराई जाएगी। इसके लिए फाइनल अप्रूवल मिल गया है। फार्म हाउस के मालिकों को सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया जा चुका है। हाल ही में डूब क्षेत्र के इन्हीं फार्म हाउसों में एक कैसिनो पकड़ा गया था। इसके बाद कार्रवाई की गतिविधि को तेज किया गया है।
30 नवंबर को प्राधिकरण ने यमुना के डूब क्षेत्र में अभियान चलाकर 30 फार्म हाउसों को ध्वस्त किए थे। अब तक कुल 150 फार्म हाउस तोड़े जा चुके है। वहीं शिकायत मिल रही है कि जिन फार्म हाउसों को तोड़ा गया वहां दोबारा से निर्माण किया जा रहा है। साथ ही कई ने उसके स्वरूप में बदलाव करते हुए गेट भी लगा लिए है।
प्राधिकरण ने 1000 फार्महाउस को अवैध घोषित किया है, जिनको ध्वस्त किया जाएगा। हाल ही में नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रितु माहेश्वरी ने भी स्पष्ट कर दिया था कि कार्यवाही जारी रहेगी। प्राधिकरण जो ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। उसमे सार्वजनिक नोटिस की लाइन, एनजीटी के नियमों का उल्लंघन और सिचाईं विभाग की गाइड लाइन के अनुसार है।
मास्टर प्लान 2031 के स्वरूप में वापस लाया जाएगा
1976 में 36 गांवों को मिलाकर नोएडा को बनाया गया। 2031 मास्टर प्लान के अनुसार इसका क्षेत्र बढ़ाकर 20 हजार 2016 हेक्टेयर किया गया। ये पहला ऐसा शहर है जिसमें करीब 5 हजार 36 हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र यानी यमुना और हिंडन का रिवर बेंड है आ रही है। जिसे रिवर फ्रंट डेवलेपमेंट के रूप में विकसित किया जाना था। लेकिन यहां अवैध रूप से फार्म हाउस बन गए। अब इनको तोड़ा जा रहा है।
2015 में बोर्ड में पास की गई योजना
अधिकारियों के मुताबिक नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन रमा रमण ने वर्ष 2015 में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर हिंडन व यमुना नदी के किनारे की लगभग 5036 हेक्टेयर जमीन को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की थी।
रिवर फ्रंट में झीलें, पार्क, साइकिल ट्रैक, पैदल पथ, बगीचा, बैठने के स्थान समेत कई सुविधाएं विकसित की जानी थीं। इसके लिए बाकायदा लैंड स्कैपिंग के साथ-साथ ग्रीनरी बनाने के लिए कंसल्टेंट तक नियुक्त करने के टेंडर निकाले गए थे। यही नहीं उस दौरान नोएडा प्राधिकरण के अफसर गुजरात के नर्मदा का रिवर फ्रंट तक देखने गए थे।