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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा- भारत 26 नवंबर को ओशनसैट-3 उपग्रह प्रक्षेपित करेगा

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केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत 26 नवंबर, 2022 को ओशनसैट-3 उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेगा। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सिंह ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ‘‘समुद्री निगरानी’’ की धारणा को एक ऐसे नए स्तर पर ले गया है, जहां सुरक्षा एजेंसियों के साथ महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान सूचनाएं साझा करने के लिए अंतरिक्ष अनुप्रयोगों का भी उपयोग किया जा रहा है।

जितेंद्र सिंह ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के स्वायत्त संस्थानों- भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (एनसीईएसएस), राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) की पहली संयुक्त सोसायटी समिति की बैठक में यह टिप्पणी की।

मंत्री ने इस दौरान रेडियो नौवहन प्रणाली के साथ-साथ स्थिति की जानकारी के प्रमुख स्रोतों में से एक के रूप में वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) के अधिक से अधिक उपयोग की जानकारी दी, जो पोत की स्थिति, उसके यात्रा कार्यक्रम और गति के बारे में आसपास के समुद्री पोतों और भूमि-आधारित पोत यातायात सेवाओं (वीटीएस) के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करती हैं।

केंद्रीय मंत्री सिंह ने मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ के डिजाइन और विकास की समीक्षा भी की। सिंह ने कहा कि उथले पानी (समुद्र का एक क्षेत्र जहा पानी बहुत गहरा नहीं है) का परीक्षण 2024 की पहली तिमाही के दौरान एनआईओटी-एमओईएस (NIOT-MoES) की अनुसंधान पोत ओआरवी सागर निधि का उपयोग करके किए जाने की संभावना है।

बैटरी से चलने वाली पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ में तीन व्यक्तियों को 6,000 मीटर पानी की गहराई तक ले जाने और 12 घंटे की सामान्य धीरज अवधि और 96 घंटे के लिए आपातकालीन सहायता के साथ वैज्ञानिक अन्वेषण करने की क्षमता होगी। मानवयुक्त पनडुब्बी से वैज्ञानिकों को गहरे समुद्र के क्षेत्रों में जैविक नमूने, आवास विश्लेषण और समुद्री खनिज अन्वेषण के स्वस्थानी प्रयोगों के लिए समुद्री वातावरण में जीवन पर अनुसंधान के लिए ले जाने के फायदे होंगे।

चौकसी बढ़ाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां कर रहीं अब अंतरिक्ष एप का इस्तेमाल
देश में चौकसी बढ़ाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां अब अंतरिक्ष एप का इस्तेमाल कर रहीं हैं। विशेष तौर पर समुद्री सीमा की निगरानी बढ़ाने के लिए इनकी तैनाती की जा रही है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को बताया कि एप से संबंधित सभी इनपुट सुरक्षा एजेंसियों संग साझा किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के स्वायत्त संस्थानों (आईआईटीएम, आईएनसीओआईएस, एनसीईएसएस, एनसीपीओआर, एनआईओटी) की पहली संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 26 नवंबर को ओशियन-3 उपग्रह भी लॉन्च किया जाएगा। इसका निर्माण नासा व इसरो के सहयोग से किया गया है। यह ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के साथ-साथ रेडियो नेविगेशन सिस्टम से भी जुड़ा होगा। एजेंसी

पनडुब्बी मत्स्य से समुद्र में शोध 
केंद्रीय मंत्री ने मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य-6000 के डिजाइन और विकास की भी समीक्षा की। डीप ओशन मिशन के समुद्रयान कार्यक्रम के तहत इसे देश में ही विकसित किया गया है। वर्ष 2024 तक इसके सभी परीक्षण पूरा करने का लक्ष्य है। बैटरी से चलने वाली मत्स्य में तीन व्यक्तियों को 6000 मीटर पानी की गहराई तक ले जाने की क्षमता होगी।

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