प्रदेश की अदालतों में न्याय कक्ष, जज चेंबर की कमी, पेयजल, प्रसाधन सहित तमाम मूलभूत सुविधाओं को लेकर बैठी इलाहाबाद हाईकोर्ट की सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ ने राज्य ब्यूरोक्रेसी के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान अपर विधि सचिव के अलावा किसी भी विभाग का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी कोर्ट में मौजूद नहीं है। जबकि, अधिकारियों को सुनवाई में सहयोग के लिए बुलाया गया था।
कोर्ट ने कहा कि ब्यूरोक्रेट्स आदेश का पालन न करने का स्पष्टीकरण नहीं देते, केवल अतिरिक्त समय की मांग की जाती है। अदालतों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि भविष्य में सुनवाई से पहले महाधिवक्ता को सहयोग के लिए वरिष्ठ अधिकारी की मौजूदगी सुनिश्चित करें। साथ ही मुख्य सचिव से आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी। महाधिवक्ता ने भी कोर्ट से सहमति जताई और कहा कि अधिकारी केस में सहयोग के लिए नहीं आते।
महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने भी अधिकारियों के रवैये पर कहा वह संतुष्ट नहीं हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसी ब्यूरोक्रेसी पहले नहीं देखी। जो आदेश का पालन नहीं करती और स्पष्टीकरण भी नहीं देती। महाधिवक्ता ने कहा कि ऐसा ही उनका भी अनुभव है। वह हेल्पलेस हैं।
कोर्ट ने अदालतों की मूलभूत सुविधाओं का डाटा बेस पेश करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई 15 नवंबर को होगी।