विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के महामंत्री मिलिंद परांडे ने गुरुवार को कहा कि मेघालय की राजधानी शिलांग में 28 अक्टूबर, 2022 को हिंसा की जो घटना घटी वह घोर निंदनीय है। फेडरेशन ऑफ खासी, जयंतिया और गारो पीपल के द्वारा कथित बेरोजगारी के विरोध में निकाला गया प्रदर्शन जिस प्रकार उग्र और हिंसक भीड़ में बदल गया, वह मेघालय सरकार या केंद्र सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण देश के लिए चिंता का विषय है।
मिलिंद परांडे ने सरकार से मांग की है कि हिंसा व अलगाववादी मार्ग के वाहक संगठनों पर कठोर कार्रवाई कर राज्य के निरपराध व शांतिपूर्ण हिन्दू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। साथ ही हिंसक लोगों को खाद-पानी देने वाले सेक्यूलर विरादरी के राजनैतिक संगठनों पर भी अंकुश लगाया जाए।
परांडे ने कहा कि अनियंत्रित हिंसा करने के अलावा उन्मादी भीड़ द्वारा जिस प्रकार के राजनीतिक व राष्ट्र विरोधी नारे लगाए जा रहे थे उससे स्पष्ट होता है कि इस कथित आंदोलन के पीछे किन शक्तियों की प्रेरणा है। ऐसा लगता है कि मेघालय और भारत का हताश विपक्ष मेघालय के युवाओं के एक वर्ग को भ्रमित कर हिंसा के मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित कर रहा है।
एफकेजेजीपी के अध्यक्ष डंडी खोसगिंट ने हिंसा पर दिखावटी चिंता व्यक्त करते हुए चेतावनी दी है कि यह हिंसक प्रदर्शन तो केवल शुरुआत है। ऐसा लगता है उनकी रूचि समाधान में नहीं बल्कि हिंसा के द्वारा संपूर्ण मेघालय के शांतिप्रिय समाज को आतंकित कर अपने आकाओं के भारत विरोधी एजेंडे को पूरा करने में है। वहां के प्रशासन की अकर्मण्यता ने आग में घी का काम किया है।
परांडे ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों से अराष्ट्रीय तत्वों के संकेत पर चल रही इस प्रकार की हिंसा का मेघालय के विकास पर भी दुष्परिणाम दिखाई दे रहा है। परांडे ने मेघालय के युवाओं से कहा है कि लोकतंत्र में हर समस्या का समाधान चर्चा से निकलता है, हिंसा से नहीं। हिंसा ना तो मेघालय के हित में है और ना ही वहां के युवाओं के। उन्हें अपनी शक्ति का प्रयोग अलगाववादी या हिंसक तत्वों के हाथ में खेल कर उनके निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए नहीं।