राजनीति में हार-जीत मायने तो रखती है लेकिन अपनी या पार्टी की जीत के लिए जो परिश्रम किया जाता है तो उसका जो फल सकारात्मक मिलता है। वह भी उतना ही महत्व रखता है। उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा ने जिस तरह से हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महत्वपूर्ण जीत हासिल की और जिला पंचायत के साथ-साथ ब्लाक प्रमुख पदों पर भी अपना परचम लहराया है। वह इसी बात का प्रमाण है।
उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा ने हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जो महत्वपूर्ण जीत हासिल की और जिला पंचायत के साथ-साथ ब्लाक प्रमुख पदों पर भी अपना ध्वज लहराया है। इसका श्रेय वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट के साथ-साथ महामंत्री संगठन अजेय कुमार को भी जाता है। जिन्होंने कुशल रणनीति बनाकर संगठन को यह अहम जीत दिलाई है। सच कहें तो महेन्द्र भट्ट ने चुनावी सारथी बनकर जीत दिलाने का जो अश्वमेध यज्ञ प्रारंभ किया है, वह पूर्णता को प्राप्त होने वाला है। हरिद्वार चुनाव परिणाम इस बात के प्रमाण माना जा रहा है कि भाजपा के लिए 2024 पूरी तरह सकारात्मक रहेगा।
प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने बुधवार को बातचीत के दौरान कहा कि भाजपा का कार्यकर्ता और संगठन के पदाधिकारी निरंतर के क्रम में कार्य करते रहते हैं। हमारे लिए चुनाव हो या न हो हम निरंतर अपने कार्य करते रहते हैं। देखा जाए तो महेन्द्र भट्ट के नाम जीत का जो श्रेय विभिन्न विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रहा है वह निरंतर उत्तराखंड में भी जारी है। पिछले विधानसभा चुनाव भले ही हार गए हों लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को यह जीत दिलाकर एक विशिष्ट कार्य किया है। महेन्द्र भट्ट को 8 राज्यों में लोकसभा और विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रभारी बनकर भेजा गया था जहां उन्होंने शत-प्रतिशत विजय दिलाई है जो इस बात का प्रतीक है कि उनका योगदान उनकी रणनीतिक कुशलता और परिश्रम है ही उनका भाग्य भी इस मामले में काफी मजबूत है जो भाजपा के लिए चुनावी जीत का विश्वास बन गया है।
हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में एकतरफा जीत के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सीएम पुष्कर सिंह धामी के अतिरिक्त कोई तीसरा नाम जीत का चेहरा बनकर उभरा है तो वह है पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का, जिनके नाम चुनाव जितवाने का अनूठा अजेय रिकॉर्ड है। 1971 में चमोली जनपद के ब्राह्मण थाला पोखरी गांव में जन्मे भट्ट स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने तक आरएसएस के माध्यम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचारों को लेकर एबीवीपी में विभिन्न पदों का निर्वहन कर चुके थे। पार्टी संगठन में प्रदेश अध्यक्ष बनने से पूर्व उपाध्यक्ष, सचिव, युवा मोर्चा अध्यक्ष समेत छोटे बड़े तमाम दायित्वों को अंजाम देने वाले महेंद्र भट्ट दो बार विधायक बनकर चुनावी राजनीति का दमखम भी दिखा चुके हैं ।
पार्टी ने अब तक प्रभारी बनाकर जिस भी चुनाव का उन्हें सारथी बनाया, उसमें उन्होंने अपने उम्मीदवार को कभी हारने नही दिया । फिर चाहे वह छत्तीसगढ़ की जहांगीर पुरी चाप विधानसभा सीट हो, चाहे महारष्ट्र की लातूर सीट हो चाहे झारखंड की शक्ति सीट हो, बिहार की बेनीपुर व दरभंगा सीट, यूपी की बलिया सीट, हिमाचल की सोलन व गाज़ियाबाद की लोकसभा सीट व अन्य सभी सीटों पर उनके नेतृत्व में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है । महेन्द्र भट्ट को अन्य राज्यों के साथ उत्तराखंड में भी तीन तीन विधानसभा उपचुनावों की कमान भी सौंपी गई, जिसमे विकासनगर सीट पर वर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार के चुनाव की बात हो, चाहे थराली उपचुनाव में श्रीमती मुन्नी देवी या कर्णप्रयाग सीट पर सुरेंद्र सिंह नेगी को जीत दिलाने की बात हो, प्रदेश अध्यक्ष भट्ट द्वारा जीत दिलाने का रिकॉर्ड 100 फीसदी ही रहा है ।
हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भाजपा के लिए चुनौती बना रहा है। इस चुनाव में पहले सदस्यों की जीत और फिर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुखों पर विपक्ष का सफाया होना अपने आप में महत्वपूर्ण है। कोई इसे उनकी रणनीति व सांगठनिक कुशलता की जीत बता रहा है, कोई उनकी धरातल पर जाकर कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने व बड़े छोटे सभी नेताओं को साथ लेकर चलने की जीवनपर्यंत कार्यशैली का परिणाम मानता है, लेकिन अधिकांश कार्यकर्ता व राजनैतिक जानकार तमाम तर्कों से परे महेंद्र भट्ट को चुनावी वैतरणी पार कराने में बेहद भाग्यशाली मानते हैं ।