प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में निवेश करने वाले उद्यमियों को दो करोड़ रुपये तक के कोलेटरल फ्री ऋण (यानी बिना गिरवी के ऋण) पर बैंकों की ओर से लिए जाने वाली वन टाइम गारंटी फीस राज्य सरकार वहन करेगी। एमएसएमई विभाग ने बृहस्पतिवार को एमएसएमई नीति-2022 को लागू करने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया। यह नीति सितंबर 2027 तक प्रभावी रहेगी।
एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने बताया कि नए सूक्ष्म उद्योग के लिए ऋण पर देय वार्षिक ब्याज का 50 प्रतिशत (अधिकतम 25 लाख रुपये) प्रति इकाई पांच वर्षों के लिए दिया जाएगा। वहीं उद्यमियों को पूंजीगत निवेश पर 10 से 25 फीसदी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को ऋण के ब्याज पर 60 फीसदी तक सब्सिडी दी जाएगी। सूक्ष्म इकाइयों के पात्र निवेश के लिए आवेदन अवधि दो वर्ष होगी। इस तरह लघु उद्योग के लिए तीन और मध्यम उद्योग के लिए चार वर्ष होगी। मंत्री ने बताया कि प्रदेश की एमएसएमई इकाइयों को अधिक से अधिक स्रोतों से क्रेडिट उपलब्ध कराने के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग पर खर्च के 20 प्रतिशत (अधिकतम 5 लाख रुपये) की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
इन पर लागू नहीं होगी नीति
तंबाकू उत्पादन, गुटखा, पान मसाला, अल्कोहल, वातयुक्त पेय पदार्थ, कार्बोनेटेड उत्पाद, पटाखों का विनिर्माण, प्लास्टिक कैरीबैग (40 माइक्रॉन से कम), राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर प्रतिबंधित श्रेणी में वर्गीकृत मोटाई के प्लास्टिक बैग और समय-समय पर प्रतिबंधित श्रेणी सूची में श्रेणीकृत उत्पादों के निवेश प्रस्तावों पर यह नीति लागू नहीं होगी।
पूंजी निवेश पर बतौर सब्सिडी सहायता देगी सरकार
बुंदेलखंड व पूर्वांचल क्षेत्रों में क्रमश: 25, 20 और 15 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। मध्यांचल एवं पश्चिमांचल में क्रमश: 20, 15 और 10 प्रतिशत होगी। अनुसूचित जाति, जनजाति व महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत अतिरिक्त निवेश प्रोत्साहन सहायता प्रदान की जाएगी। निवेश प्रोत्साहन की अधिकतम सीमा 4 करोड़ रुपये प्रति इकाई होगी। पांच करोड़ रुपये और इससे अधिक की मशीनरी एवं संयंत्र वाली सभी नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कच्चे माल की खरीद पर पांच वर्ष के लिए मंडी शुल्क से छूट की व्यवस्था मंडी अधिनियम के अनुसार प्रदान की जाएगी। विभाग के औद्योगिक आस्थानों में भूखंडों और शेडों के आवंटन की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा।