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विधानसभा मानसून सत्र- साढ़े पांच वर्ष में उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरीन सुधार हुआ: योगी

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सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए जाते मुख्यमंत्री योगी व अन्य मंत्री

उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने राज्य की बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर इस पर चर्चा की मांग की और हंगामा शुरू कर दिया। प्रश्नकाल के बाद सपा की इस मांग पर सदन में चर्चा हुई। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़ा किये तो नेता सदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके हर सवाल का जवाब भी दिया और सपा पर हमले भी बोले। मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट सपा के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की बातों से स्पष्ट हो रहा था कि पर उपदेश कुशल बहुतेरे…। उनको (अखिलेश) यह भी नहीं पता था कि वह जो बोल रहे हैं, किसको बोलना चाह रहे हैं। इस प्रदेश में चार बार समाजवादी पार्टी की सरकार रही है। मुझे लगता है कि प्रदेश की 25 करोड़ जनता या फिर देश की 135 करोड़ की आवादी में से कोई भी व्यक्ति राजनीतिक रूप से उनसे उपकृत होगा। कोई सपा को सही नजरीय से नहीं देखता होगा। उन्होंने कहा कि कई सर्वे इस बात की गवाही देते हैं कि विगत साढ़े पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरीन सुधार हुआ है। चाहे वह एनिमिया का मामला हो या मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में सुधार।

अखिलेश के डबल इंजन की सरकार पर कटाक्ष का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मौसम में इंसेफलाइटिस की वजह से एक डर व्याप्त रहता था। प्रति वर्ष वहां पर 1200 -1500 से दो हजार मौतें होती थीं। अकेले गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज मं पांच से छह सौ मौतें होती थीं। यह डबल इंजन की सरकार का ही परिणाम है कि आज इंसेफलाइटिस से मौतें ज़ीरो स्तर पर पहुंच गई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोग केवल दूसरों को उपदेश देते हैं। 2012 से 2017 तक सपा की सरकार थी। इनकी सरकारों में प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंदी के कगार पर थे। डॉक्टर्स ही नहीं थे। आज मैं कह सकता हूं कि सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप एम्बुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एक जिला एक मेडिकल कॉलेज के अभियान के तहत बढ़ रहे हैं। इस योजना के तहत 59 जिलों में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं, या बन चुके हैं। शेष 16 जिलों में मेडिकल कॉलेज के निर्माण के प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष पर कटाक्ष करते हुए योगी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान नेता प्रतिपक्ष पता नही कहां गायब हो गए थे। कुछ लोग उलटे भ्रम फैला रहे थे। कभी वैक्सीन नहीं लगवाने की बात कर रहे थे तो कभी कुछ और..। चार बार इनकी सरकार रही है। मैं नहीं कहता। पूरी दुनिया कहती है कि सपा के शासनकाल में हर क्षेत्र में केवल अवमूल्यन ही हुआ, नुकसान ही हुआ। इन तथाकथित समाजवादियों ने ही प्रदेश का सबसे ज्यादा नुकसान किया। सपा के नेता को सच बोलने की आदत डाल लेनी चाहिए।

अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य के मामलों को लेकर सवाल उठाया

इससे सदन में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य के मामलों को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में एम्बुलेंस और ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। हमने अपनी सरकार में गरीबों के लिए एम्बुलेंस सेवा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि आज स्थिति बदहाल है, दवाइयों का बड़े पैमाने का संकट है। स्ट्रेचर नहीं मिलते, मृतकों परिजन अपने परिजनाें के शव कंधे, रिक्शे और मोटरसाइकिल पर ले जाने को मजबूर हैं। पहले कोरोना काल में पीएचसी, सीएचसी और मेडिकल कालेजों ने हाथ खड़े कर दिये। आज डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री छापामार मंत्री बन गए हैं। क्या इनके छापों से कोई सुधार नहीं हुआ। अगर बजट की कमी है तो स्वीकार क्यों नहीं करते हैं? अगर है तो नेता सदन डिप्टी सीएम को बजट क्यों नहीं देते।

सपा ने सदन का वाक आउट किया

इससे पहले सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते सपा नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने नियम 311 के तहत स्वास्थ्य की बदहाल व्यवस्था का आरोप लगाकर चर्चा की मांग की। इस पर सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर है। ऐसी विषम परिस्थित नहीं बनी है जिससे कि नियम 311 के तहत चर्चा कराने की जरूरत है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विपक्ष की इस मांग को अग्राह्य कर दिया। इस पर सपा के सदस्य वेल में आ गए और हंगामा करने लगे। अध्यक्ष ने कहा कि हम सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं करेंगे। नियम 56 में इस मुद्दे पर चर्चा करा सकते हैं। इससे सहमत होकर सपा के सदस्य अपनी सीट पर आ गए।

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