राऊज एवेन्यू कोर्ट इस याचिका पर 20 सितंबर को सुनवाई करेगा
मनी लांड्रिंग मामले में दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत के मामले में नया मोड़ आ गया है। ईडी ने कोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन दाखिल करने की इजाजत मांगी है। एएसजी एसवी राजू ने कहा कि वह जैन की जमानत पर सुनवाई दूसरी कोर्ट में स्थानांतरित करवाना चाहते हैं। राऊज एवेन्यू कोर्ट इस याचिका पर 20 सितंबर को सुनवाई करेगा।
सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फिलहाल स्पेशल जज गीतांजलि गोयल सुनवाई कर रही हैं। 8 सितंबर को ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वो अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। ईडी की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस इसलिए दर्ज नहीं किया गया है कि वे कंपनी के शेयरधारक होने या लाभ की स्थिति में हैं बल्कि कंपनी को नियंत्रित करने और 16 करोड़ रुपये के बेनामी ट्रांजेक्शन को लेकर है।
राजू ने जैन की ओर से 2018 में इनकम टैक्स को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा था कि जैन ने बकाया आयकर के बीस फीसदी के भुगतान के लिए अंकुश जैन और वैभव जैन की कंपनी और उनके खाते से जमा करने का आवेदन किया था। इससे साफ है कि उस कंपनी का पैसा सत्येंद्र जैन का था। वे अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
कोर्ट ने 23 अगस्त को सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन को नियमित जमानत दी थी। 29 जुलाई को कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। 29 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले के आरोपित अजीत प्रसाद और सुनील कुमार जैन को अंतरिम जमानत दी थी। चार्जशीट पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ईडी को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ईडी जिन तीन कंपनियों का नाम ले रही उस कंपनी के सत्येंद्र जैन डायरेक्टर ही नहीं हैं तो आपने उन्हें आरोपित कैसे बनाया। कोर्ट ने ईडी से पूछा था कि क्या ईडी इस तरीके से काम करती है। कोर्ट ने कहा था कि फोटो कॉपी को वैध साक्ष्य नहीं माना जा सकता है।
ईडी ने 27 जुलाई को सत्येंद्र जैन समेत छह लोगों और चार कंपनियों को आरोपित बनाया है। इनमें सत्येंद्र जैन के अलावा उनकी पत्नी पूनम जैन, सत्येंद्र जैन के करीबी वैभव जैन, अंकुश जैन, सुनील कुमार जैन, अजित कुमार जैन के अलावा अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल नामक कंपनियां हैं। इस मामले में सत्येंद्र जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन पहले से न्यायिक हिरासत में हैं। सत्येंद्र जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था जबकि वैभव जैन और अंकुश जैन को 1 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।
ईडी के मुताबिक इस मामले में कैश दिल्ली में दिया गया। ये कैश कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री ऑपरेटर्स तक पहुंचा। ये एंट्री ऑपरेटर्स फर्जी कंपनियों में शेयर खरीद कर निवेश करते थे। इन फर्जी कंपनियों में निवेश करके काला धन को सफेद बनाया जा रहा था। पैसों से जमीन खरीदने का काम किया गया। प्रयास नामक एनजीओ के जरिये कृषि भूमि खरीदी गई।