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पूर्वांचल में भी खूब आया निवेश

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

बेहतर बुनियादी सुविधाएं, सुरक्षा की गारंटी और निवेश फ्रेंडली नीतियां बनीं जरिया

-जीबीसी-3 में निवेश के मामले में पूर्वांचल दूसरे नंबर पर रहा

उत्तर प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं के ठीक होने के साथ ही कानून व्यवस्था पटरी पर आई तो उसका असर निवेश पर दिखने लगा। उत्तर के उन क्षेत्रों में भी निवेश खूब आया जहां कभी कोई उद्यमी पांव भी नहीं रखना चाहता था। अब वह क्षेत्र उनकी पसंद बनकर उभरे हैं। उत्तर प्रदेश सरकर की ओर से आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-03 में (जीबीसी-03) में पूर्वांचल में आया निवेश इसका प्रमाण है।

जीबीसी में आये कुल 1406 प्रस्तावों में 80 हजार 224 करोड़ रुपये के निवेश में पश्चिम उत्तर प्रदेश के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश व पूर्वांचल दूसरे नंबर पर रहा। इस क्षेत्र में निवेशकों की रुचि इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर में थी।

उल्लेखनीय है कि जीबीसी-3 में सबसे अधिक 73 फीसद निवेश पश्चिम उप्र में आया। दूसरे स्थान पर पूर्वांचल रहा। यहां कुल निवेश का 12 फीसदी हिस्सा आया। क्षेत्रवार निवेश के आंकड़े देखें तो पश्चिम उप्र में 865 प्रोजेक्ट (रु 58,671 करोड़), पूर्वांचल 290 प्रोजेक्ट (रु 9617 करोड़), मध्य उप्र 217 प्रोजेक्ट (रु 8997 करोड़) और बुंदेलखंड 34 प्रोजेक्ट (रु 2938 करोड़) आए हैं। जीबीसी-3 के आंकड़ों से स्पष्ट है कि बड़े, मझोले और लघु उद्योगों के लिए अब पूर्वी उत्तर प्रदेश पसंदीदा क्षेत्र बनता जा रहा है।

पूर्वांचल क्यों बना निवेशकों की पसंद

पूर्वांचल में निवेशकों की रुचि बढ़ने के पीछे मुख्य कारण लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का त्वरित गति से पूरा होना भी है। इसके शुरू होने से पूर्वी उप्र और पूर्वी राज्यों तक सड़क मार्ग से बहुत कम समय में पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा पूर्वी उप्र के कई प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया गया। इनमें कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गोरखपुर में लंबे समय से बंद पड़े खाद कारखाने का पुनः संचालन, सरयू राष्ट्रीय नहर परियोजना पूरा होने के साथ पूर्वी उप्र में स्वास्थ्य व चिकित्सा, शिक्षा, उच्च शिक्षा के नए संस्थान शुरू होना भी है। सुरक्षा की गारंटी भी प्रमुख मुद्दा है।

इन जिलों में 200 करोड़ रुपये या इससे ऊपर के निवेश

जीबीसी-3 में पूर्वी उप्र के जिलों में आए 200 करोड़ रुपये और उससे अधिक के निवेश के प्रस्ताव प्रमुख हैं-

-गोरखपुर में 819.81 करोड़ रुपये से गैलेंट इस्पात के इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की स्थापना

– गोरखपुर में 702 करोड़ रुपये से केयान डिस्टिलरीज के एथानॉल उत्पादन व 15 मेगावाट के पावर प्लांट की स्थापना

– अमेठी में 700 करोड़ रुपये से एसएलएमजी बेवरेज (लधानी समूह की इकाई) का खाद्य प्रसंस्करण प्लांट

– सोनभद्र में 700 करोड़ रुपये से एसीसी सीमेंट का प्लांट

मिर्जापुर में डालमिया भारत ग्रीन विज़न लिमिटेड का 600 करोड़ रुपये से सीमेंट प्लांट

– देवरिया में 200 करोड़ रुपये से फॉरेवर डिस्टिलरी का संयंत्र, बाराबंकी में एसएलएमजी बेवरेज का 280 करोड़ रुपये से प्लांट

– महाराजगंज में 400 करोड़ से प्रस्तावित शांति फाउंडेशन ट्रस्ट का चिकित्सा केंद्र

– गोरखपुर में 250 रुपये करोड़ से ऐश्प्रा लाइफस्पेसेज की आवासीय योजना

– मऊ में 300 करोड़ रुपये से एएमपी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का रिनूएबेल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) प्रोजेक्ट

– बलिया में 450 करोड़ रुपये से एएमपी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट

– 300 करोड़ रुपये से चित्रदुर्ग एनर्जी का नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट

-फतेहपुर में 350 रुपये करोड़ से प्रस्तावित अवाडा आरजे ग्रीन का नवीकरणीय ऊर्जा का प्रोजेक्ट

– सोनभद्र में एनटीपीसी (आरई) लिमिटेड का नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र

इस क्षेत्र के लिए 200 करोड़ रुपये से कम के प्रस्तावों में ये शामिल हैं

-अमेठी में अग्रहरी मसाला उद्योग ( 27.9 करोड़ रुपये)

-बहराइच में श्याम सखा फूड एंड बेवेरेज ( 20 करोड़ रुपये)

-बाराबंकी में गणपति एग्री बिजनेस ( 14 करोड़ रुपये)

-चंदौली में उज्ज्वल इंटरप्राइज़ (12.2 करोड़ रुपये)

-गोरखपुर में जीआरएल एडिबल प्रा लि ( 40 करोड़ रुपये)

-इंडिया ग्लाईकोल ( 125 करोड़ रुपये)

– मुस्कान इंडस्ट्रीज़ ( 18.8 करोड़ रुपये)

– शाश्वत पावर टेक ( 10.7 करोड़ रुपये)

– कुशीनगर में श्याम रत्न फूड इंडस्ट्री (25 करोड़ रुपये)

– सुल्तानपुर में राजेश मिल्क एंड एडिबिल प्रोडक्टस ( 32 करोड़ रुपये

– वाराणसी में पार्ले एग्रो ( 175 करोड़ रुपये)

– राजा उद्योग प्रा लि ( 42 करोड़ रुपये)

– श्री तिरुपति बालाजी इंडस्ट्रीज़ ( 18.7 करोड़ रुपये)

– बाराबंकी में गोदरेज ऍग्रोवेट लि ( 85 करोड़ रुपये)

– गोरखपुर में सीपी मिल्क एण्ड फूड प्रोडक्टस ( 118 करोड़ रुपये)

– प्रयागराज में यूनाइटेड यूनिवर्सिटी ( 100 करोड़ रुपये)

– चंदौली में श्री गोविंद पॉलीटेक्स प्रा लि ( 13.4 करोड़ रुपये)

– संत कबीर नगर में जानवी स्पिननर्स प्रा लि ( 11 करोड़

रुपये)

– बाराबंकी में हिल्टाप ट्रेडर्स प्रा लि ( 55 करोड़ रुपये)

– गोरखपुर में गैलेन्ट इंडस्ट्रीज़ ( 135 करोड़ रुपये)

– क्वॉर्ट्ज ओपलवेयर ( 120 करोड़ रुपये)

– तत्व प्लास्टिक्स पाइप प्रा लि ( 102 करोड़ रुपये)

– मिर्जापुर में आरएलजे इंफ्रा सिमेन्ट प्रा लि ( 145 करोड़ रुपये)

– बाराबंकी में हर्बोकेम इंडस्ट्रीज़ ( 18 करोड़ रुपये)

– रायबरेली में इनोक्स एयर प्रोडक्शंस प्रा लि ( 150 करोड़ रुपये)

– मिर्जापुर में जिंदल पाइप लि ( 50 करोड़ रुपये)

– प्रतापगढ़ में क्लीन सोलर रुफटॉप ( 50 करोड़ रुपये)

– अयोध्या में होटल जनक पैलेस (14.5 करोड़ रुपये)

– उषा रानी डेवलपर्स प्रा लि ( 16 करोड़ रुपये)

– गोरखपुर में ऐश्प्रा सोल्युशंस ( 82.6 करोड़ रुपये)

– कॉन्टिनेन्टल डेवलपर्स प्रा लि (36.2 करोड़ रुपये)

– साकेत कुंज लैंडमार्क प्रा लि ( 35 करोड़ रुपये)

– प्रयागराज में होटल रामा कॉन्टिनेन्टल ( 10 करोड़ रुपये)

– वाराणसी में नवीन साड़ी केंद्र प्रा लि ( 22.5 करोड़ रुपये)

– अमेठी में मधुरिमा लोजिस्टिक्स (10.5 करोड़ रुपये)

– अयोध्या में एनसीएमएल फैजाबाद प्रा लि (100 करोड़ रुपये)

– बस्ती में एनसीएमएल बस्ती प्रा लि ( 92.6 करोड़ रुपये)

– देवरिया में एनसीएमएल देवरिया प्रा लि (100 करोड़ रुपये)

– फतेहपुर में यूपी लॉजिस्टिक्स प्रा लि ( 70 करोड़ रुपये)

– गाज़ीपुर में सहदेव पघोरिया ( 13.5रुपये)

-गोरखपुर में कॉनसीलोस (41 करोड़ रुपये )

– प्रतापगढ़ में नंदिनी इंफ्रास्ट्रक्चर ( 30 करोड़ रुपये)

इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में एमएसएमई इकाइयां भी पूर्वी उप्र के कई जिलों में लगाई जानी प्रस्तावित हैं। खासकर रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में। सरकार इसके लिए गोरखपुर में फ्लैटेड फैक्ट्री भी बना रही है।

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